प्रमुख वामपंथी पार्टी माकपा (CPM) मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने पर विचार कर रही है। इसको लेकर मुख्य विपक्षी दलों के साथ संभावनाओं पर विचार-विमर्श चल रहा है। पार्टी ने मंगलवार (23 जनवरी) को दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट का संकट अभी तक सुलझ नहीं सका है। इससे पहले कांग्रेस द्वारा भी सीजेआई के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने विचार करने की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। बता दें कि शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्य न्यायाधीश की कार्यशैली पर सवाल उठाया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस जोसेफ कुरियन, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्ब्सि मदन बी. लोकुर शामिल थे। इस ऐतिहासिक घटना के बाद इस संकट को खत्म करने का प्रयास शुरू कर दिया गया था। लेकिन, अब माकपा ने विवाद खत्म नहीं होने का दावा किया है।
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर चर्चा करने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि अभी तक इस संकट (सुप्रीम कोर्ट में उठा विवाद) का समाधान नहीं हो सका है। लिहाजा, कार्यपालिका द्वारा हस्तक्षेप कर अपनी भूमिका निभाने का समय आ गया है। हमलोग सीजेआई के खिलाफ बजट सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावनाओं पर विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं।’ सुप्रीम कोर्ट के चारों वरिष्ठतम जजों ने 12 जनवरी को कई अन्य मसलों को उठाया था। जजों ने संवेदनशील याचिकाओं के आवंटन और सीजेआई द्वारा पीठ गठित करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाया था। जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को सुरक्षित रखे बिना लोकतंत्र को नहीं बचाया जा सकता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ जजों ने कहा था कि चार महीने पहले उन्होंने सीजेआई को एक पत्र लिख कर कोर्ट के कामकाज को लेकर कुछ मुद्दे उठाए थे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। चारों जजों ने कहा था कि चीफ जस्टिस से अनियमितताओं पर बात की गई थी, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी। इसके बाद उन्हें सार्वजनिक तौर पर सामने आना पड़ा था। भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट का कोई न्यायधीश चीफ जस्टिस के साथ अपने मतभेद को मीडिया के समक्ष रखा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद जस्टिस गोगोई ने जज लोया की संदिग्ध मौत पर मतभेद होने की बात भी कही थी। चारों जजों ने कहा था कि देश से संवाद करने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था।