आरएसएस मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने जोरदार हमला किया है। येचुरी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी के ‘हिस्ट्री कैप्सूल’ में महात्मा गांधी और उनकी हत्या का जिक्र ना होना काफी कुछ कहता है। सीताराम येचुरी ने कहा है कि अच्छा होता प्रणब मुखर्जी आरएसएस को अपना इतिहास याद दिलाते, जब इस संस्था पर तीन-तीन बार बैन लगा था। सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, “आरएसएस मुख्यालय में प्रणब मुखर्जी द्वारा बताये गये ‘हिस्ट्री कैप्सूल’ में महात्मा गांधी और उनकी हत्या का मसला गायब होना काफी कुछ कहता है।” येचुरी ने आगे कहा, “प्रणब मुखर्जी अगर आरएसएस को उसका अपना ही इतिहास याद दिलाते तो अच्छा होता-इसे कांग्रेस की सरकारों ने तीन बार बैन किया है, पहली बार सरदार पटेल ने जब महात्मा गांधी की हत्या हो गई थी, तब पटेल ने गोलवलकर को लिखा था, “गांधी जी की मृत्यु के बाद आरएसएस के लोगों ने खुशियां जताई थी और मिठाइंया बांटी थी।” बता दें कि गोलवलकर संघ के द्वितीय सरसंघचालक थे।
In the “history capsule” delivered by Pranab Mukherjee at the RSS headquarters, the absence of Mahatma Gandhi and his assassination speaks volumes.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 7, 2018
He would have done well to remind the RSS of its own history – banned thrice by Congress governments, first time by Sardar Patel, following Mahatma Gandhi’s assassination. “RSS men expressed joy and distributed sweets after Gandhiji’s death”, Patel wrote to Golwalkar.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 7, 2018
गुरुवार (7 जून) को प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के मंच से भाषण दिया और देश को राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति की शिक्षा दी। प्रणब मुखर्जी ने यहां देश की बहुलतावादी संस्कृति का विस्तार से चर्चा की और कहा कि राष्ट्र की आत्मा बहुलवाद और पंथनिरपेक्षवाद में बसती है। पूर्व राष्ट्रपति ने प्रतिस्पर्धी हितों में संतुलन बनाने के लिए बातचीत का मार्ग अपनाने की जरूरत बताई। उन्होंने साफतौर पर कहा कि घृणा से राष्ट्रवाद कमजोर होता है और असहिष्णुता से राष्ट्र की पहचान क्षीण पड़ जाएगी। उन्होंने कहा, “सार्वजनिक संवाद में भिन्न मतों को स्वीकार किया जाना चाहिए।”
सांसद व प्रशासक के रूप में 50 साल के अपने राजनीतिक जीवन की कुछ सच्चाइयों को साझा करते हुए प्रणब ने कहा, “मैंने महसूस किया है कि भारत बहुलतावाद और सहिष्णुता में बसता है।” मुखर्जी ने अपने भाषण में ‘‘धर्म, घृणा, हठर्धिमता और असहिष्णुता के जरिए भारत को परिभाषित करने के किसी भी प्रयास के प्रति चेताते हुए कहा कि इससे केवल हमारा अस्तित्व ही कमजोर होगा। प्रणब मुखर्जी के भाषण से पहले कांग्रेस के कई नेताओं ने आरएसएस के मंच पर जाने के लिए उनकी आलोचना की थी। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति के भाषण के बाद कांग्रेस ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने संघ को सच्चाई का आईना दिखाया है।