Sitaram Yechury: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी को सोमवार को तबीयत बिगड़ने के बाद दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, येचुरी को शाम को अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया था। हालांकि, तबीयत में सुधार नहीं होने की वजह से उन्हें अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया है। सीपीआईएम के एक सूत्र ने कहा कि वह चेकअप के लिए गए थे और निमोनिया की वजह से उन्हें भर्ती कराया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी गंभीर बात नहीं है। अभी तक एम्स की तरफ से कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

भारतीय राजनीति में शायद ऐसा कोई नहीं होगा जो सीताराम येचुरी के नाम से परिचित न हो। वह काफी जाना-माना चेहरा है। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव हैं। सीताराम येचुरी 12 अगस्त 1952 को जन्मे थे। 1969 में तेलंगाना में हुए आंदोलन की वजह से वे दिल्ली आ गए। यहां पर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बीए करने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में बीए किया और उसके बाद पीएचडी में एडमिशन लिया। यहीं पर वे स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया में शामिल हुए और छात्र राजनीति की शुरुआत की। हालांकि, उनको आपातकाल के दौरान अरेस्ट कर लिया गया था और वे अपनी पीएचडी को पूरा नहीं कर पाए थे। जेएनयू को वामपंथ का गढ़ बनाने में सीताराम येचुरी का अहम योगदान माना जाता है।

राज्यसभा के रहे सदस्य

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से जुड़े थे। इसके बाद वह भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बन गए। 2005 में येचुरी पहली बार पश्चिम बंगाल से चुनकर राज्यसभा पहुंचे थे। वह 18 अगस्त 2017 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे। इस दौरान उन्होंने देश के काफी सारे मुद्दों को उठाया।

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सीताराम येचुरी ने अपने बड़े बेटे को खोया

येचुरी को 2016 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिला था। सीताराम येचुरी का संबंध एक तमिल ब्राह्मण परिवार से है। वह काफी लंबे टाइम से पार्टी के महासचिव का पद संभाल रहे हैं। यह पार्टी का काफी बड़ा पद माना जाता है। सीताराम येचुरी 19 अप्रैल 2015 को पार्टी के महासचिव चुने गए थे तब से वह इस पद पर बने हुए हैं। बता दें कि सीताराम येचुरी के बड़े बेटे आशीष की 2021 में कोरोना से मौत हो गई थी। दो हफ्ते तक कोरोना से लड़ने वाले आशीष की इलाज के दौरान मौत हो गई। आशीष दिल्ली के एक अखबार में वरिष्ठ पत्रकार के तौर पर काम करते थे। आशीष की मौत ने सीताराम येचुरी को मानसिक रूप से तोड़ दिया है।