सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिकों की एक कमेटी ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस का पीक (चरम) गुजर चुका है और लोगों ने अगर इसी तरह से मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया तो अगले साल फरवरी तक देश से कोरोना संक्रमण का प्रभाव खत्म हो सकता है। इस कमेटी की अध्यक्षता आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम.विद्यासागर कर रहे हैं। इस कमेटी ने अपने मैप आधारित मॉडल का इस्तेमाल करते हुए दावा किया है कि भारत में सितंबर के मध्य में कोरोना का चरम बीत गया है।

इस दौरान देश में कोरोना के एक्टिव केस 10 लाख के पार थे लेकिन उसके बाद से लगातार इन नंबर्स में गिरावट आ रही है। कमेटी ने ये भी कहा है कि आने वाले महीनों में त्योहारों और ठंडे मौसम के चलते कोरोना के मामले फिर से बढ़ सकते हैं लेकिन राहत की बात ये है कि इनके अब बीते महीने के आंकड़ों के पार जाने की संभावना नहीं है।

यह कमेटी विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय द्वारा कुछ माह पहले गठित की गई थी। इस कमेटी का अनुमान है कि फरवरी 2021 तक कोरोना से पीड़ित संक्रमितों की एक करोड़ 6 लाख से ज्यादा नहीं होगी। अभी देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 75 लाख है। हालांकि कमेटी ने साफ कहा है कि यदि मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों में थोड़ी भी ढिलाई बरती तो हालात बिगड़ सकते हैं।

कमेटी ने आगामी त्योहारों के सीजन को लेकर चिंता जाहिर की है और लोगों से सावधान रहने की अपील की है। कमेटी के सदस्य मनींद्र अग्रवाल का कहना है कि ‘हमने देखा है कि केरल में ओणम के त्योहार के बाद कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई थी। हमें इससे सीख लेनी चाहिए।’

सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाने के फैसले की तारीफ करते हुए कमेटी ने कहा कि ‘लॉकडाउन के बिना देश में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा काफी ज्यादा होता। अनुमान है कि यह 26 लाख के पार जा सकता था। मई में लॉकडाउन लगाने से कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 10 लाख तक कम होता। चूंकि सरकार ने 24 मार्च को ही लॉकडाउन लगा दिया था इसलिए देश में कोरोना से अब तक करीब एक लाख मौत ही हुई हैं।’

कमेटी के अनुसार लॉकडाउन के बिना देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा भी एक करोड़ 40 लाख के पार पहुंच सकता था। कमेटी ने ये भी कहा कि लॉकडाउन के तुरंत बाद ही मजदूरों का पलायन हुआ, इससे कोरोना संक्रमण का प्रसार काफी कम हुआ। पलायन कर अपने गृह राज्य आने वाले मजदूरों को क्वारंटीन करने की रणनीति भी खासी सफल रही।