Kabir Firaque

कोरोना वायरस महामारी गाने या बात करने से भी फैल सकती है, इसे लेकर शोध किया गया है। दरअसल गाने से मुंह से छोटे-छोटे कण बाहर आते हैं और ऐसे ही कणों की वजह से कोविड-19 फैलता है। ऐसे में जब कोई व्यक्ति गाता है या बातचीत करता हैं तो संक्रमण फैलने का खतरा कितना है? ऐसे लेकर शोध किए गए हैं जिसमें महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं।

एयरोसोल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी के एक शोध पत्र से पता चला है कि जितने जोर से कोई शख्स गाता है उतने ही अधिक कण उसके मुंह से बाहर निकलते हैं। इसमें बताया गया कि स्वर वर्ण की तुलना में व्यंजन वर्ण बोलने में ज्यादा कण मुंह से बाहर निकलते हैं। इनमें भी खासतौर पर पी, बी, आर और टी जैसे वर्ण हैं।

इसी तरह यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के एक शोध पेपर में बताया गया कि गाने से बोलने की तुलना में बहुत अधिक कण बाहर नहीं निकलते हैं जब दोनों का स्तर एक समान हो। शोध में स्वीडिश शोधकर्ताओं ने 12 स्वस्थ गायकों और दो कोविड-19 संक्रमित गायकों द्वारा गायन के दौरान मुंह से बाहर निकले कणों पर शोध किया। इन 14 में 7 पेशेवर ओपेरा गायक थे।

कण रहित एक कमरे में उन्होंने एक छोटा स्वीडिश गाना (Bibbis pippi Pette) गाया। इस गाने को दो मिनट में लगातार 12 बार दोहराया गया। इसके बाद व्यंजन वर्णों को हटाकर और स्वर वर्णों के साथ फिर गाया गया।

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लुंड यूनिवर्सिटी में एयरोसोल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी एसोसिएट प्रोफेसर जैकब एल ने बताया कि हमने गायन के विभिन्न पहलुओं की जांच की। जैसे बात करने तुलना गाने से, सामान्य गायन की तुलना तेज आवाज में गाने से, फेस मास्क के साथ गायन, स्वर वर्ण गायन की तुलना व्यंजन वर्ण गायन से। उन्होंने कहा कि हालांकि हमने अलग-अलग व्यंजन की व्यवस्थित रूप से तुलना नहीं की मगर पता चला है कि पी, बी, आर और टी से बड़ी संख्या में छोटी-छोटी बूंदें मुंह से निकलीं।

इस सवाल के जवाब में कि कोरोना काल में क्या गायकों को गाना चाहिए लुंड यूनिवर्सिटी ने कहा कि गायन को बंद नहीं किया जाना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग और अच्छे वेंटिलेशन के साथ गीत गाया जा सकता है। मास्क से भी फर्क पड़ सकता है।