COVID-19 Vaccines, Corona News in Hindi: दुनिया भर में लाखों लोगों की जिंदगी और कारोबार पर बेहद बुरा असर डालने वाले कोरोना महामारी की दस्तक एक बार फिर से दुनिया के कुछ देशों में सुनाई दी है। कोरोना महामारी के कुछ मामले दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में सामने आए हैं। भारत में भी कोरोना के नए मामले देखने को मिल रहे हैं। मुंबई में कोरोना से संक्रमित दो लोगों की मौत हो चुकी है हालांकि उन्हें कुछ और बीमारियां भी थीं।

अब तक केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु से कोरोना के कुछ मामले सामने आ चुके हैं हालांकि इन सभी मामलों में कोरोना के लक्षण काफी हल्के हैं लेकिन पिछली बार तबाही मचाने वाले इस वायरस को लेकर सतर्कता और सावधानी रखने की जरूरत है।

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर जतिन आहूजा कहते हैं कि अभी तक सामने आए मामले हल्के ही हैं। इस वायरस का सब वेरिएंट JN.1 पहले से ही भारत में है और इस वेरिएंट को ही दक्षिण-पूर्व एशिया में कोरोना के बढ़ रहे मामलों के पीछे जिम्मेदार माना जा रहा है।

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डॉक्टर जतिन आहूजा ने कहा कि JN.1 वेरिंएंट BA.2.86 का ही हिस्सा है। BA.2.86 को ‘Pirola’ स्ट्रेन के नाम से जाना जाता है। ‘Pirola’ स्ट्रेन इंसान के इम्यून सिस्टम पर भारी पड़ सकता है और ज्यादा संक्रामक है।

टीवी चैनलों, सोशल मीडिया पर कोरोना की खबरों के आने के चलते बहुत सारे सवाल लोगों के मन में हैं। जैसे JN.1 वेरिएंट क्या है, क्या जेएन.1 वेरिएंट को रोकने वाला कोई टीका हमारे पास नहीं है? क्या हमें फिर से वैक्सीन लगाने की जरूरत है, JN.1 वेरिएंट से किन लोगों को ज्यादा खतरा है?

आइए सबसे पहले JN.1 वेरिएंट के बारे में जानते हैं।

क्या है JN.1 वेरिएंट?

JN.1 ओमिक्रॉन वेरिएंट से ही जुड़ा है। इस वायरस में लगभग 30 बार बदलाव (mutations) हो चुके हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह बहुत ज्यादा खतरनाक है लेकिन यह हमारे इम्यून सिस्टम से बचने के तरीके खोज रहा है। JN.1 वायरस में हो रहे बदलाव वायरस की सतह पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन में हो रहे हैं और यह हमारे शरीर की कोशिकाओं में चला जाता है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम के लिए परेशानी पैदा होती है और वायरस को आसानी से फैलने में मदद मिलती है।

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एक सवाल यह भी सामने आता है कि वैक्सीनेशन से जो इम्यूनिटी हमें मिली थी क्या वह अब कम हो रही है और क्या हमारे पास इसे रोकने वाली कोई वैक्सीन नहीं है। इसका जवाब यह है कि हम ओमिक्रॉन की लहर देख चुके हैं। यह अभी भी हमारे शरीर में Memory T cells and Memory B cells को एक्टिव कर सकता है और यह cells वायरस और इसके जैसे किसी वेरिएंट से मुकाबला कर सकती हैं।

PLoS Pathogens जरनल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, Memory T cells वायरस के कई हिस्सों की पहचान कर सकती हैं और इनमें ओमिक्रॉन का वेरिएंट भी शामिल है। Memory B cells ऐसी एंटीबॉडी बनाती हैं जो ओमिक्रॉन वेरिएंट को खत्म कर सकती है।

मौजूदा वक्त में जो लक्षण लोगों में दिख रहे हैं, वे सामान्य फ्लू जैसे ही हैं- गला खराब होना, खांसी और बुखार। कुछ लोगों को उल्टी आ सकती है, कुछ लोगों को कोरोना की पहली लहर की तरह आंखों में जलन (कंजंक्टिवाइटिस) भी हो सकती है। ऐसे वक्त में लोगों को आराम करना चाहिए, पानी पीना चाहिए, सेल्फ आइसोलेशन में रहना चाहिए और एंटीवायरस दवाईयां लेनी चाहिए।

किन लोगों को है ज्यादा खतरा?

एक सवाल यह भी है कि इस वेरिएंट से किन लोगों को खतरा ज्यादा है? ऐसे लोग जो पहले ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उनके लिए निश्चित रूप से खतरा ज्यादा है। ऐसे लोग जिनकी डायबिटीज ज्यादा है, जिन्हें क्रॉनिक किडनी डिजीज है, HIV है या जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है, उन्हें भी सतर्क रहने की जरूरत है। बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिलाएं और बच्चों में भी संक्रमण का खतरा हो सकता है।

mRNA टीकों की है जरूरत

अगला सवाल यह कि क्या हमें और वैक्सीनेशन की जरूरत है? हमें जो पुराने टीके लगे थे वे कमजोर या मरे हुए वायरस से बनाए गए थे। अब हमें mRNA टीकों की जरूरत है, जैसे कि Gemcovac-19। लेकिन यह टीका अभी आसानी से उपलब्ध नहीं है। mRNA तकनीक नए वेरिएंट के अनुसार टीकों को जल्दी अपडेट करने के लिए अच्छी मानी जाती है।

अंत में सबसे जरूरी बात कि हमें कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए। इसके लिए – भीड़भाड़ और प्रदूषित जगहों पर मास्क पहनें, हाथों की सफाई रखें और संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखें।

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