अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी साल जून में एच-1बी वीजा समेत विदेशियों को दिए जाने वाले अन्य वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। ये प्रतिबंध 31 दिसंबर 2020 तक के लिए लगाए गए थे। अब अमेरिका के कैलिफोर्निया की जिला अदालत के जज जेफ्री व्हाइट ने ट्रंप प्रशासन के प्रतिबंध के आदेश पर रोक लगा दी है।

इस फैसले के बाद एच-1बी समेत सभी प्रकार के वीजा पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा। दूसरे देशों में रह रहे सभी प्रकार के वीजाधारक अब अमेरिका जा सकेंगे। जिन लोगों का कोरोना काल में अमेरिका तबादला हुआ है, वे अब नए दफ्तर में जाकर काम संभाल सकेंगे। अपनों से दूर रह रहे पति-पत्नी अपनों के पास अमेरिका जा सकेंगे। जिन वीजाधारकों के नवीकरण पर रोक लगी है, वे अपने वीजा की अवधि बढ़वा सकेंगे।

कामगारों की कमी का संकट झेल रही कंपनियां दूसरे देशों से कर्मचारी बुला सकेंगी। सांस्कृतिक-शिक्षा एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अमेरिका का दौरा किया जा सकेगा। प्रवासी कामगारों को दिए जाने वाले एच-1बी वीजा के सबसे ज्यादा लाभ भारतीयों को मिलता रहा है। अमेरिका में काम करने के लिए छह साल के लिए एच-1बी वीजा दिया जाता है।

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं, जिसका इस्तेमाल करते हुए ही उन्होंने अमेरिका में वैध रूप से काम करने वाले अप्रवासी कुशल कामगारों के नए प्रवेश पर इस साल के आखिर तक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। यह फैसला 24 जून से लागू हो गया था। फैसले के लागू होने के बाद से ही 31 दिसंबर तक किसी भी विदेशी कामगार को एच-1बी वीजा या अमेरिका में काम करने के लिए मिलने वाले दूसरे वीजा जारी नहीं किया जा रहा है।

इस फैसले का असर एच-1बी के अलावा एल-1, एच-4, जे-1 और एच-2 पर भी हुआ था। एच-1बी अमेरिका में काम करने वाले विदेशी कामगारों को मिलता है। एल-1 उन विदेशियों को मिलता है, जिनका अमेरिका स्थित कंपनियों में तबादला होता है। एच-4 वीजा एच-1बी वीजाधारकों के साथ रहने वाले पति-पत्नियों को मिलता है। जे-1 वीजा सांस्कृतिक, शिक्षा के आदान-प्रदान कार्यक्रमों के इमिग्रेशन के लिए मिलता है। एच-2 वीजा नॉन-एग्रीकल्चर इंडस्ट्री में काम पर आने वाले कामगारों के लिए दिया जाता है।

एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा होता है, जो किसी विदेशी नागरिक या कामगार को अमेरिका में काम करने के लिए छह साल के लिए जारी किया जाता है। जो कंपनियां अमेरिका में हैं, उन्हें यह वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है, जिनकी अमेरिका में कमी हो। इस वीजा को पाने की कुछ शर्तें भी होती हैं। जैसे, कर्मचारी को स्नातक होने के साथ ही किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता भी हासिल होनी चाहिए। इसके अलावा इसे पाने वाले कर्मचारी की सालाना तनख्वाह 40 हजार डॉलर यानी 45 लाख रुपए से ज्यादा होनी चाहिए।

एच-1बी वीजा अमेरिका में बसने की राह भी आसान करता है। एच-1बी वीजा धारक पांच साल बाद अमेरिका की स्थाई नागरिकता या ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस जैसी 50 से ज्यादा भारतीय आइटी कंपनियों के अलावा गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी अमेरिकी कंपनियां इस वीजा का इस्तेमाल करती हैं।