मध्य प्रदेश के हरदा जिले में एक रेलवे स्टेशन पर बीफ रखने के शक में मारपीट के शिकार हुए मुस्लिम दंपती ने अपनी आपबीती सुनाई है। नसीमा बानो का कहना है कि उन्हें और उनके पति को बुरी तरह पीटा गया। नसीमा ने कहा, ”’मैं उस वक्त बेहद डर गई थी, जब उन्होंने एक बूढ़े शख्स की पिटाई की, जो अपना सामान फेंके जाने का विरोध कर रहा था। इसके बाद, उन्होंने मुझे टॉयलेट की ओर ढकेल दिया।” गौरक्षा समिति के कथित सदस्यों ने खिरकिया स्टेशन पर कुशीनगर एक्सप्रेस में घुसकर बवाल मचाया था। उन्हें शक था कि यात्री अपने साथ बीफ लेकर जा रहे हैं। इस मामले में दो लोग अरेस्ट किए जा चुके हैं।
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बानो ने बताया कि उन लोगों ने जब उनके पास रखी 30 किलो दाल की बोरी फेंक दी और उनके पति मोहम्मद हुसैन को थप्पड़ मारा तो जाकर उन्होंने विरोध किया। बानो के मुताबिक, शुरुआत में गौरक्षा समिति के सदस्यों का बवाल देखकर उनके मन में पैदा हुआ डर बाद में गुस्से में तब्दील हो गया। नसीमा बानो ने कहा कि हमलावरों ने पूर्व नियोजित तरीके से वारदात को अंजाम दिया। नसीमा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ”वे न तो नारेबाजी कर रहे थे और न ही उन लोगों ने हथियार ले रखा था। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।” नसीमा के मुताबिक, वे तो कार्यकर्ताओं से उलझ गई थीं, लेकिन एक पुलिसवाले ने दखल देकर उन्हें बचाया। नसीमा का यह भी कहना है कि वे और उनके पति इस पूरी घटना से इतने डर गए थे कि उन्होंने पुलिस शिकायत वापस लेने तक के बारे में सोच लिया था। उन्होंने कहा, ”मैंने सोचा कि जब मैं और मेरे पति अब भी जिंदा है तो पुलिस में शिकायत करके आगे क्यों परेशानी मोल ली जाए।”
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घटना उस वक्त हुई जब नसीमा और उनके पति एक बीमार रिश्तेदार से मुलाकात करके हैदराबाद से वापस लौट रहे थे। एक रिश्तेदार के यहां रात को ठहरने के बाद वे खांडवा में ट्रेन में सवार हुए थे। यह जगह खिरकिया से 100 किमी दूर है। लोकल पुलिस खांडवा को बेहद ‘संवेदनशील’ मानती है, क्योंकि यहां एक बूचड़खाना है। हालांकि, बानो के पति हुसैन का कहना है कि हरदा में अधिकांश तौर पर हिंदुओं की रिहाईश है, लेकिन उन्हें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। वेल्डिंग का काम करने वाले हुसैन ने बताया कि उन्होंने कई बार स्टील की फ्रेम्स तैयार किए, जो कुछ साल पहले तक गणेश उत्सव में झांकियां निकालने में इस्तेमाल होती थीं। इसके अलावा, हाल ही में उन्होंने अपने मोहल्ले में 9 दिन की भागवत कथा के आयोजन में भी मदद की थी।
नसीमा और उनके पति के मुताबिक, हंगामा करने वाले लोगों ने यह कबूल किया कि उन्होंने एक दो दिन पहले भी एक अन्य ट्रेन में ऐसा ही किया था। नसीमा ने कहा, ”उन लोगों ने दावा किया कि उन्होंने अपनी छापेमारी के बारे में पुलिस को भी जानकारी दी थी। उन लोगों यह भी दावा किया कि उन्हें इस बात की पक्की जानकारी है कि बुधवार को ट्रेन के जरिए बीफ ले जाया जा रहा था। इसलिए जैसे ही ट्रेन खिरकिया स्टेशन पर ठहरी, उन्होंने जनरल कंपार्टमेंट के दरवाजों को घेर लिया। हममें से किसी ने वो मीट वाला काला बाग नहीं देखा, जिसे वे बरामद करने की बात कह रहे थे।” बता दें कि पुलिस का कहना है कि गौरक्षा सेना के कार्यकर्ताओं ने दावा किया था कि उन्होंने कथित छापेमारी के दौरान बीफ बरामद किया। वहीं, लैब की जांच में यह पता चल चुका है कि वो भैंसे का मीट था।