Bihar Voter Verification: बिहार में वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ड्राइव चलाई हुई है। इसके तहत लोगों में अपने डॉक्यूमेंट जमा करने के लिए होड़ मची हुई है। इन 11 डॉक्यूमेंट्स में से अगर सबसे ज्यादा मांग किसी चीज की है तो वह डोमिसाइल सर्टिफिकेट है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि डोमिसाइल सर्टिफिकेट को हासिल करने के लिए एड्रेस प्रूफ के तौर पर आधार आमतौर पर सभी के पास है। सबसे बड़ी विडंबन यह है कि आधार कार्ड खुद 11 डॉक्यूमेंट्स की लिस्ट में शामिल नहीं है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 28 जून को जब चुनाव आयोग ने अपना एसआईआर ड्राइव शुरू किया था और 6 जुलाई के बीच हर एक ब्लॉक में मौजूद पब्लिक सर्विस सेंटर पर 13,08,684 डोमिसाइल एप्लीकेशन मिले थे। इसमें से रोजाना 70,000 एप्लीकेशन आ रहे थे। अधिकारियों ने कहा कि इनमें से 9,12,952 एप्लीकेशन अभी भी पेंडिंग हैं। आरटीपीएस के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारे सीमित कर्मचारियों की संख्या के कारण पेंडिंग मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है। बाकी बचे हुए दिनों में इसके और भी बढ़ने की उम्मीद है। ज्यादातर लोगों को बाकी डॉक्यूमेंट्स के मुकाबले डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल करना आसान लगता है।’

बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन पर ओवैसी ने उठाए सवाल

केवल आधार मांगा जा रहा

डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए आवेदक को आधार, राशन, वोटर आईडी कार्ड, साथ ही मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेशन और अपने परमानेंट एड्रेस की पुष्टि करने वाला हलफनामा देना होगा। लेकिन आरटीपीएस केंद्रों पर अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्होंने अन्य दस्तावेजों की जरूरत नहीं रखी है और केवल आधार मांगा जा रहा है।

नालंदा से लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के वैशाली में राघोपुर निर्वाचन क्षेत्र व दरभंगा और मधुबनी के ईबीसी और दलित इलाकों और मुस्लिम बहुल सीमांचल जिलों से लेकर ऊंची जाति की बस्तियों तक ज्यादातर लोगों के पास में एकमात्र डॉक्यूमेंट आधार ही है।

आरके झा भी कर रहे डोमिसाइल का इंतजार

पूर्णिया के कसबा के रहने वाले मोहम्मद अफसर अली इस प्रोसेस पर सवाल खड़ा करते हैं और कहते हैं, ‘आधार दिखाकर हम डोमिसाइल सर्टिफिकेट और पासपोर्ट तो बनवा सकते हैं, लेकिन आधार ही महत्वपूर्ण नहीं है! यह देश हमें आजादी के 78 सालों में एक स्थायी पहचान पत्र नहीं दे पाया है।’

मधुबनी के सौराठ के रहने वाले किशन चौधरी ने कहा, ‘मैं उन भाग्यशाली लोगों में से हूं जिन्हें डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिल पाया है। इसमें मेरे माता-पिता का नाम और पता लिखा है।’ उनके अनुसार, उनके गांव की पंचायत में करीब 3,000 लोग अभी भी अपने डोमिसाइल सर्टिफिकेट का इंतजार कर रहे हैं। मधुबनी के रहने वाले आरके झा भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने परिवार के चार सदस्यों के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। समय सीमा नजदीक आने के कारण हम घबरा रहे हैं।’

आरटीपीएस सेंटर प 24 घंटे काम कर रहे कर्मचारी

आरटीपीएस सेंटर पर कर्मचारी एप्लीकेशन को निपटाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। कर्मचारियों की कमी और कमजोर इंटरनेट सर्विस के कारण काम धीमा पड़ रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि वे आम तौर पर पांच-छह दिनों के भीतर आवेदन निपटा देते हैं। हालांकि, आवेदनों की बाढ़ को देखते हुए यह मुश्किल साबित हो रहा है। बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर EBC-अल्पसंख्यक ही नहीं, ऊंची जातियों में भी बेचैनी