जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) ने रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर ऑफ इंडिया (RGI) से आगामी जनगणना में सबसे हाशिए पर स्थित विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) को शामिल करने पर विचार करने को कहा है। मंत्रालय ने बताया है कि PVTG की सटीक गणना लक्षित कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में मदद करेगी। इसे अगर अंतिम रूप दे दिया जाता है तो यह पहली बार होगा जब जनगणना में PVTG की अलग से गणना की जाएगी।

बताया जा रहा है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने पिछले महीने भारत के महापंजीयक को पत्र लिखकर पीवीटीजी परिवारों और व्यक्तियों की संख्या, उनकी विशिष्ट जनसांख्यिकीय, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं को दर्ज करने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया था। मंत्रालय ने कहा कि पीवीटीजी आबादी के सबसे हाशिए पर और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े, कमजोर वर्गों में से एक हैं। ऐसे में उनकी जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक आधार पर एक डेटाबेस होना जरूरी है।

75 में से 40 PVTG को एसटी केटेगरी में गिना जाता है

भारत में 18 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) में 75 PVTG हैं। इनकी पहचान निम्न साक्षरता स्तर, भौगोलिक दूरस्थता, कृषि-पूर्व तकनीकी स्तर और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर की गई थी। लगभग 40 पीवीटीजी को सिंगल एंट्री के रूप में लिस्ट किया गया है और जनगणना में अनुसूचित जनजाति (ST) केटेगरी में गिना जाता है।

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सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और जनजातीय अनुसंधान संस्थान एवं ओडिशा राज्य जनजातीय संग्रहालय के पूर्व निदेशक, प्रोफ़ेसर ए बी ओटा ने इंडियन एक्स्प्रेस को बताया कि 75 में से 40 पीवीटीजी राष्ट्रपति के आदेश के तहत एसटी सूची में शामिल हैं और इसलिए जनगणना के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने कहा, “हालांकि, शेष पीवीटीजी जो अक्सर बड़े एसटी समुदायों के भीतर उप-समूह होते हैं, जनगणना में स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध नहीं होते हैं, जिससे प्रमुख जनसांख्यिकीय संकेतकों पर विशिष्ट आंकड़ों का अभाव होता है। आंकड़ों का यह अंतर नीति निर्माताओं और योजनाकारों के लिए लक्षित, आवश्यकता-आधारित कार्यक्रम तैयार करने में महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करता है।”

MoTA ने कहा कि हालांकि, पीएम-जनमन (प्रधानमंत्री जनजाति न्याय महा अभियान) जैसी हालिया पहलों ने कुछ आंकड़े एकत्र करना शुरू कर दिया है लेकिन राष्ट्रीय जनगणना में पीवीटीजी की गणना को संस्थागत बनाने की आवश्यकता पर आम सहमति बढ़ रही है। इस सर्वे के आधार पर, इस महीने लोकसभा में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा दिए गए उत्तर के अनुसार, पीवीटीजी की अनुमानित जनसंख्या 45.56 लाख है। पीवीटीजी जनसंख्या के मामले में मध्य प्रदेश (12.28 लाख), महाराष्ट्र (6.2 लाख) और आंध्र प्रदेश (4.9 लाख) शीर्ष तीन राज्य हैं। गौरतलब है कि इस साल जून में, केंद्र ने 2027 की जनगणना को अधिसूचित किया और घोषणा की कि यह जाति गणना के साथ दो चरणों में आयोजित की जाएगी। पढ़ें- आदिवासियों की एक इंच जमीन लूटने नहीं देंगे- बीजेपी