पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि आईएमए कोरोनिल के पीछे के विज्ञान पर चर्चा के लिए आगे आए। हम राष्ट्र के सामने चर्चा करें। अगर आईएमए ऐसा नहीं कर सकता है तो वह अपने आरोपों के लिए माफी मांगें। पंतजलि विज्ञान समर्थक है, लेकिन षड्यंत्र विरोधी है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को जवाब देते हुए पंतजिलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कोरोनिल को WHO-GMP द्वारा CoPP लाइसेंस मिल चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उनके कार्यक्रम में एलोपैथी की जगह आयुर्वेद का समर्थन नहीं किया था और न ही आधुनिक दवाइयों की आलोचना की थी।
इससे पहले IMA ने पतंजलि द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन से सर्टिफिकेट पाने की बातों को झूठ कहा था। पतंजलि ने दावा किया था कि उसकी कोरोनिल टैबलेट को विश्व स्वास्थ्य संगठन से सर्टिफिकेट मिल चुका है। पतंजलि का कहना है कि कोरोनिल कोविड 19 से लड़ने में मरीज की मदद करती है। मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से सफाई देने को कहा था।
Open invitation to @IndianMedAssn officials for a discussion on the science behind #Coronil, with the research team at #PRI
Let us discuss in front of nation OR #IMA apologize for the baseless non-scientific allegations.
We at #Patanjali are pro-science but anti-conspiracy! pic.twitter.com/aZCmDr5zGx— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) February 25, 2021
IMA ने कहा, “देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, पूरे देश के लोगों के लिए इस तरह के झूठे मनगढ़ंत अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है … क्या आप स्पष्ट कर सकते हैं कब इसका क्लिनिकल परीक्षण किया गया? देश को मंत्री से सफाई की जरूरत है।”
इससे पहले 19 फरवरी को योग गुरू स्वामी रामदेव ने एक रिसर्च पेपर लॉन्च किया था। रामदेव ने कहा था कि कोरोनिल को आयुष मंत्रालय से सर्टिफिकेट मिल चुका है। जो कि कोविड के इलाज में मददगार है। एक बयान में पतंजलि ने कहा,: “कोरोनिल को सर्टिफिकेट ऑफ फार्मासुटिकल प्रोडक्ट मिल चुका है।”
बाद में, डब्ल्यूएचओ ने साफ किया कि उसने COVID -19 के उपचार के लिए किसी भी पारंपरिक दवा को प्रमाणित नहीं किया है। डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया ने एक ट्वीट में कहा: “COVID-19 के इलाज के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की पुष्टि नहीं की गई है।” मालूम हो कि पतंजलि ने पिछले साल 23 जून को आयुर्वेद आधारित कोरोनिल लॉन्च की थी। जब देश में कोरोना महामारी अपने चरम पर थी।