Coronavirus in India: कोरोना का कहर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। भारत में अबतक इससे 147 लोग संक्रमित हो चुके हैं और तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से मृत व्यक्ति की बॉडी को कैसे हैंडील करना है, पोस्टमॉर्टम और अंतिम संस्कार कैसे किया जाये इसे लेकर गाइडलाइन्स जारी की हैं। हालांकि मारे हुए लोगों की बॉडी से अबतक किसी के संक्रमित होने की बात सामने नहीं आई है। लेकिन पोस्टमॉर्टम के दौरान अगर COVID-19 संक्रमित मृत व्यक्ति के फेफड़ों को सही से हैंडील नहीं किया तो संक्रामण फैल सकता है।

संक्रामक रोगों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शरीर, मेडिकल गियर और डिस्पोजल को लेकर विभिन्न बायोसेफ्टी लेवल प्रिस्क्राइब किए हैं। मृत COVID-19 रोगियों के शवों के लिए, डबल्यूएचओ ने BSL-3 को अनिवार्य किया है।

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ ओम श्रीवास्तव ने कहा “बीएसएल -3 के हिसाब से  शवों को लीकप्रूफ प्लास्टिक में पैक किया जाना चाहिए और उसके बाद अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। संस्कार के दौरान रिश्तेदारों को उन्हें छूने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि शव को शवलेपन और अनजिप करने से बचना चाहिए।

मंत्रालय के दिशानिर्देश स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए कुछ मानक सावधानियों की सलाह देते हैं, जैसे कि हाथ की स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का उपयोग (जल प्रतिरोधी एप्रन, दस्ताने, मास्क, आईवियर)। मंत्रालय ने मृत व्यक्ति से गले लगने,  शव को धोने, या शरीर को चूमने से माना किया है।

यह सलाह दी गई है कि ऑटोप्सी कर रहे चिकित्सक या मुर्दाघर में काम करने वाले कर्मचारी कोरोना वायरस की वजह से मरे व्यक्तियों की डेड बॉडी से होने वाले इन्फेक्शन के खतरे को देखते हुए सतर्क रहें। कहा गया है कि अगर मौत की वजह साफ ना हो तब मामले की गंभीरता और आवश्यकता को देखते हुए ही ऑटोप्सी की जाए।

मुंबई स्थित KEM Hospital में फॉरेंसिक विभाग के मुख्य चिकित्सक डॉक्टर हरीश पाठक ने कहा है कि अगर ऑटोप्सी जरुरी हो चिकित्सक सुरक्षात्कमक Gear पहनें, अटॉप्सी रूम को डिश इनफेक्ट किया जाए तथा ऑटोप्सी के लिए इस्तेमाल में आने वाले सभी जरुरी मेडिकल इक्विपमेन्ट्स को सोडियम क्लोरियाइड से साफ किया जाए। अगर डेड बॉडी का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है तो मुर्दाघर में डेड बॉडी को 4-6°C में सुरक्षित रुप से रखा जाए।