गर्भवती महिलाएं अब CoWIN प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं या COVID-19 वैक्सीन के लिए टीकाकरण केंद्रों पर जा सकती हैं। गर्भवती माताओं (और उनके बच्चों) को लेकर बढ़ती चिंता के चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 के खिलाफ “टीका लगाया जा सकता है”।
पिछले महीने तक स्तनपान कराने वाली महिलाएं टीके के लिए पात्र थीं लेकिन गर्भवती महिलाएं नहीं थीं। सरकार ने कहा था कि यह सुरक्षा और टीके के प्रभाव से जुड़े डेटा की कमी के कारण था क्योंकि टीकों के परीक्षण में आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा, “स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशानिर्देश दिए हैं कि गर्भवती महिलाओं को टीका दिया जा सकता है। टीकाकरण उनके लिए उपयोगी है और दिया जाना चाहिए।” गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह द्वारा मई में चर्चा किए गए विषयों में से एक था।
समिति ने अपनी 28 मई की बैठक में कहा, “महामारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, एनटीएजीआई-एसटीएससी ने गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण से बाहर नहीं करने की सिफारिश की है क्योंकि जोखिम की संभावना बहुत अधिक है और इसलिए लाभ जोखिम से कहीं अधिक है।”
इस बीच केंद्र सरकार का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है। इसलिए लापरवाह नहीं हुआ जा सकता है। केंद्र ने जानकारी दी है कि भारत 21 जून के बाद से हर दिन लगभग 50 लाख लोगों का टीकाकरण कर रहा है। हर रोज नॉर्वे की आबादी जितने लोगों का टीकाकरण करने का काम सरकार कर रही है।
महामारी की स्थिति पर संवाददाता सम्मेलन में एक अधिकारी ने कहा कि लोग अपने सुरक्षा उपायों को कम नहीं कर सकते और न ही करना चाहिए। सरकार ने कहा कि देश के 71 जिलों में 23 से 29 जून के सप्ताह में कोविड-19 की संक्रमण दर 10 प्रतिशत से अधिक थी। साथ ही कहा कि महामारी की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है।
सरकार ने कहा कि 16 जनवरी को अभियान शुरू होने के बाद से अब तक 34 करोड़ लोगों – अमेरिका की पूरी आबादी के बराबर, को कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है। सरकार ने कहा कि देश में करीब 80 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर्स में से 90 प्रतिशत कर्मी कोविड-19 रोधी टीके की दोनों खुराकें ले चुके हैं।