Covid Booster Dose: तमाम जागरूकता के बाद भी कोरोना संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। कोरोनावायरस से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए निशुल्क उपलब्ध करायी जा रही बूस्टर डोज (Covid Booster Dose) लेने में आम लोग उदासीन बने हैं। कोविड -19 टीकों की मुफ्त एहतियाती खुराक प्रदान करने के लिए सरकार का 75-दिवसीय अभियान शुक्रवार (30 सितंबर 2022) को समाप्त हो गया। इस अवधि के दौरान 15.92 करोड़ खुराकें दी गईं।
भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यह अभियान जुलाई के मध्य में शुरू हुआ था। इसके शुरू होने से पहले, देश में केवल 8 प्रतिशत वयस्कों को टीके की तीसरी खुराक मिली थी। अभियान खत्म होने तक यह संख्या 27 प्रतिशत है। ऐसे में भारत की तीन-चौथाई वयस्क आबादी को तीसरी खुराक मिलना बाकी है। 1 अक्टूबर 2022 से बूस्टर डोज लगवाने के लिए निर्धारित शुल्क चुकाना होगा। आगे भी बूस्टर डोज निशुल्क लगेगी या नहीं, इसको लेकर अभी तक कोई आदेश केंद्र सरकार की ओर से जारी नहीं हुआ है।
अब खर्च करने होंगे पैसे: आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 दिनों तक 18 से 59 आयु वर्ग ले लोगों को मुफ्त में कोविड वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज लगाई गयी। 30 सितंबर को ये मुफ्त सेवा बंद कर दी गयी। अब बूस्टर डोज के लिए लोगों को पैसे खर्च करने होंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 75 दिनों की अवधि के दौरान देश में 13.01 लाख से अधिक टीकाकरण शिविर आयोजित किए गए। इनमें से अधिकांश शिविर (11.03 लाख ) निजी और सरकारी कार्यस्थलों पर आयोजित किए गए थे। धार्मिक यात्राओं के मार्ग पर 4,451 कैंप आयोजित किए गए थे।
महज 27 फीसदी लोगों ने लगवाई बूस्टर डोज: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों ने पहली और दूसरी डोज लेने के लिए काफी दिलचस्पी दिखायी, लेकिन जब बूस्टर डोज लगवाने की बारी आई तो लोग इस अभियान से जुड़ने में उदासीन रहे। मुफ्त लगने वाली बूस्टर डोज का फायदा उठाने को आम लोगों में कोई खास उत्साह नहीं दिखा। अब तक निर्धारित लक्ष्य के महज 27 फीसदी लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड संक्रमण का कम डर, साथ ही संक्रमण के घटते मामलों के चलते तीसरी डोज की मांग कम हुई है। इसके अलावा मांग में कमी यह कारण भी है कि यात्रा या कई स्थानों पर प्रवेश के लिए बूस्टर डोज का प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है।