सवाल हैः दैनिक कोरोना संक्रमण घट रहा है तो दैनिक मृतक संख्या बढ़ क्यों रही है? आइए, समझते हैं। सोमवार को कोविड से मौतों की संख्या 4,329 बताई गई। यह संख्या 11 मई की संख्या 4,205 से भी अधिक है। यहां उल्लेखनीय है कि संक्रमण संख्या को पीक यानी चोटी पर पहुंचे 12 दिन बीत चुके हैं। इस बीच इसमें रोज़-बा-रोज़ गिरावट आ रही है। एक नियम के तहत मौत के आंकड़े लगभग 12 दिन पीछे चलते हैं। अतएव उम्मीद है कि कुछ दिन में इनमें गिरावट दिखने लगेगी। लेकिन, संभव यह भी है कि एक दिन संख्या अचानक बढ़ी हुई दिखाई दे। ऐसा इसलिए होता है कि कुछ बहुत से राज्य कुछ दिन या हफ्ते-दो-हफ्ते पहले की वह संख्या भी बता रहे हों जो बाद में दर्ज हो पाई हों।
महाराष्ट्र का उदाहरण ले लेते हैं। वहां सोमवार को 1,019 से ज्यादा मौतें बताई गईं। विश्लेषण करने पर ज्ञात हुआ कि इनमें 289 मौतों शनिवार और सोमवार के बीच हुई थीं, जबकि 227 ऐसी थीं जो एक हफ्ते पहले की थीं। 484 ऐसी मौतें भी थीं जो एक हफ्ते से भी पहले की थीं। इतना ही नहीं इसी संख्या में शामिल थीं 19 ऐसी मौतें जिनके बारे में पता चला कि मरने का कारण कोविड न होकर कुछ और बीमारी थी।
दूसरे राज्यों ने भी पहले के दिनों की अनरिपोर्टेड मौतों को जोड़ कर संख्या बताई। दरअसल, बताई गई संख्या पर मौतों की सूचना देने में प्रशासनिक लेट-लतीफी भी असर होता है। कई बार किसी-किसी मौत की रिपोर्टिंग में हफ्तों लग जाते हैं। उदाहरण के लिए कर्नाटक की बताई 476 की संख्या में उन मौतों का भी शुमार था जो अप्रैल और यहां तक कि मार्च में हुई थीं।
मौजूदा समय पांच राज्य, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, यूपी और तमिलनाडु, रोज़ाना औसतन 300 मौतों की रिपोर्ट दे रहे हैं। मंगलवार को अपेक्षाकृत बहुत छोटे राज्य उत्तराखंड से अचानक 223 मौतों की सूचना आ गई। लेकिन इन मौतों में 80 मौतें पिछले दिनों की शामिल थीं। बारह राज्य ऐसे हैं जहां से औसतन सौ मौतों की खबर आ रही है।
मई का महीना सबसे भयंकर गुजरा है। इस महीने की शुरुआत से अब तक कोरोना 66,866 लोगों की जान ले चुका है। लेकिन जहां तक संक्रमित लोगों की संख्या की बात है तो इस लिहाज से सबके खराब महीना अप्रैल का रहा। एक महीने में 70 लाख लोग संक्रमित मिले थे। मौतें हुई थीं लगभग 49 हजार।
महाराष्ट्र की मृतक संख्या लगभग 85 हजार है, लेकिन अगर आबादी के लिहाज से देखा जाए तो मौतों का प्रतिशत सर्वाधिक गोवा में है। गोवा में दस लाख में 1,475 मौतें हैं तो दिल्ली में फी लाख 1,301। दरअसल, देश में यही दो ऐसे राज्य हैं जहां दस लाख में हजार मौतें हुई हैं।
