कोरोना संक्रमण की वजह से देश व दिल्ली ने अब तक का सबसे बड़ा बंद देख लिया है। 1975 का आपातकाल हो या 1984 के दंगे ऐसे बंद के हालात दिल्ली वालों ने कभी नहीं देखे। लोगों का कहना है कि बंद ने 70 साल पुरानी यादों को भी पीछे छोड़ दिया है।
बंद का असर छोटे बाजारों पर भी साफ नजर आ रहा है। पूर्वी दिल्ली के नत्थू कॉलोनी क्षेत्र में एक किराना स्टोर पर लोगों को एक- एक फुट का अंतर बनाकर रखने की अपील की जा रही थी। जरूरी सामान की वजह से लाइनों में लगकर सामान की खरीदारी हुई। लोग दूर रहे इसके लिए विशेष तौर पर एक मेज लगा दी गई थी। नवरात्र की शुरुआत किसी भी नए काम के लिए शुभ मानी जाती है। इस बार नवरात्र में कोरोना संक्रमण का खतरा कपड़ा बाजार पर भारी पड़ा है। कपड़ा कारोबारी महेश शर्मा ने बताया कि तीन दिन से दुकानें बंद है।
अशोक नगर में जैन साड़ी गोदाम के मालिक प्रवीण जैन ने बताया कि उनके पास शादियों के सीजन का सामान अशोक नगर व बुराड़ी गोदाम पर आ चुका है। सारा सामान सूरत से आता है। लेकिन दुकान बंद होने से सारा माल लॉक हो गया है।
बंद तो बहुत हुए पर पहले कभी ऐसा बंद नहीं देखा। पहले बंद होता था लेकिन दुकानें ही बंद हो जाए तो उसे बंद मान लिया जाता था। लेकिन इस बार सभी कामकाज ठप है। नोटबंदी के समय ही सरकार को समर्थन के हालात नजर आए थे या अब बंद ने ऐसा माहौल दिखाया है।
-विजय कुमार मल्होत्रा, वरिष्ठ भाजपा नेता
सत्तर साल बाद दिल्ली में ऐसा बंद हुआ है। मुझे याद है कि पुरानी दिल्ली में हिंदू मुसलिम झगड़े हुए थे। चांदनी चौक में हर तरफ तनाव था। पर यह भी विशेष मोहल्ले व क्षेत्र तक सीमित था। देश में लगे आपात काल में भी ऐसे हालात नहीं थे।
-जय प्रकाश अग्रवाल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
पूरी दिल्ली में ऐसा बंद कभी नहीं देखा। अबतक जब भी बंद देखने को मिला है, वह भी किसी क्षेत्र विशेष में ही नजर आता था। महामारी की वजह से पहली बार यह बंद है। केवल 84 के दंगों में ही लोग कई दिनों तक घरों में बंद रहे। केंद्र व दिल्ली सरकार इसके लिए काम कर रही हैं।
-एनडी गुप्ता, वरिष्ठ नेता आम आदमी पार्टी