चंडीगढ़ मेयर चुनाव के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को नया मेयर घोषित किया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी मतपत्रों की जांच की और पाया कि 8 वोट जो रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह द्वारा अवैध घोषित किए गए थे, वह सभी वैध थे। सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी के चुनाव के संचालन में दोषी पाए जाने के बाद चुनाव के रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह पर आपराधिक मुकदमा चलाने का भी आदेश दिया है।

रिटर्निंग ऑफिसर पर कोर्ट का बयान

कोर्ट ने कहा, “चंडीगढ़ मेयर चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए एक उपयुक्त मामला बन गया है। रिटर्निंग ऑफिसर के आचरण की दो स्तरों पर निंदा की जानी चाहिए। सबसे पहले उन्होंने मेयर चुनाव के नियम को गैरकानूनी रूप से बदल दिया है। दूसरा 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के सामने एक गंभीर बयान देते हुए पीठासीन अधिकारी ने झूठ बोला, जिसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”

जानिए कब क्या हुआ

चंडीगढ़ के मेयर पद के लिए 30 जनवरी को चुनाव हुए थे। 35 सदस्यीय चंडीगढ़ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में बीजेपी के 14 और आम आदमी पार्टी के 13 पार्षद हैं। अकाली दल का एक और कांग्रेस के 7 पार्षद हैं। जब चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी के उम्मीदवार मनोज सोनकर को 16 और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को 12 वोट मिले थे। 8 वोट रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अवैध करार दिए गए थे।

इस घटना के बाद आम आदमी पार्टी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गई और वहां पर उसने रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की निगरानी में फिर से चुनाव कराने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को तुरंत राहत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद आम आदमी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने 1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दाखिल की और पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चैलेंज किया।

5 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस मामले को सुना। इस दौरान अनिल मसीह का एक वीडियो भी पीठ ने देखा। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ये लोकतंत्र का मजाक है और हम इस तरह से लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैलेट पेपर और चुनाव प्रक्रिया की पूरी फुटेज रखी जाए।

18 फरवरी को बीजेपी के मनोज सोनकर ने दिया इस्तीफा

18 फरवरी को भाजपा के चुने गए मेयर मनोज सोनकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और तीन आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने बीजेपी ज्वाइन कर ली। 19 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने हॉर्स ट्रेडिंग पर चिंता जाहिर की। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलेट पेपर की जांच वह करेंगे। 20 फरवरी यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी मतपत्रों की जांच की और पाया कि जिन आठ वोटों को अवैध करार दिया गया था, वह सभी वैध हैं और सभी में आम आदमी पार्टी को वोट मिले थे।