मुख्य सचिव पद पर उपजा विवाद, मुख्यमंत्री हरीश रावत के पूर्व सचिव पर किया गया स्टिंग आपरेशन, मसूरी स्थित आइएएस अकादमी की सुरक्षा में चूक, आपदा राहत में कथित घोटाला और नारी निकेतन में मूक-बधिर संवासिनी के साथ कथित बलात्कार और गर्भपात के साथ ही राष्टीय खेलों की मेजबानी मिलने की खबरों के चलते उत्तराखंड इस साल सुर्खियों में बना रहा। मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्ति होने के बाद वरिष्ठ आइएएस अधिकारी राकेश शर्मा को उसी पद पर पुनर्नियुक्त करने के राज्य सरकार के फैसले को केंद्र की ओर से पलट दिए जाने से विवाद पैदा हो गया। शर्मा को पद पर सेवा-विस्तार राज्य की अर्जी पर तय तारीख तक केंद्र से कोई जवाब न मिलने के बाद मुख्यमंत्री रावत ने उन्हें एक्स आइएएस काडर करते हुए पद पर तीन माह के लिए पुनर्नियुक्त कर दिया। बहरहाल केंद्र के कार्मिक विभाग ने प्रदेश के मुख्य सचिव पद को आइएएस काडर पद के लिए आरक्षित बताते हुए राज्य सरकार से तुरंत इस नियुक्ति को रद्द करने और उनकी जगह किसी नियमित आइएएस अधिकारी को नियुक्त करने का आदेश दिया।

रावत ने इस बाबत अपनी सरकार के निर्णय को उचित ठहराया। लेकिन कहा कि वह इस मसले पर केंद्र से कोई टकराव नहीं चाहते। करीब एक पखवाड़े तक गहन विचार के बाद मुख्यमंत्री ने शर्मा की जगह शत्रुघ्न सिंह को राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया और शर्मा को मुख्यमंत्री कार्यालय में अपना मुख्य प्रधान सचिव बनाया। इस साल जुलाई में मुख्यमंत्री के पूर्व सचिव वरिष्ठ आइएएस मोहम्मद शाहिद को कैमरे पर कथित रूप से निजी शराब व्यावसायियों के साथ लाइसेंस के लिए सौदेबाजी करते दिखाए जाने से प्रदेश में राजनीतिक भूचाल आ गया।

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से नई दिल्ली में जारी किए गए स्टिंग आपरेशन के इस वीडियो से मचे सियासी बवाल में भाजपा ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबने का आरोप लगाया और रावत से इस्तीफा देने, शाहिद को बर्खास्त करने और मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की। बहरहाल, रावत ने इसे भाजपा का खेल बताते हुए जांच के लिए जरूरी मूल सीडी, उसे बनाने में प्रयुक्त हुआ कैमरा और अन्य उपकरण उपलब्ध कराने की मुख्य विपक्षी दल से मांग की। आरोपों और प्रत्यारोपों के इस खेल में रावत के 2014 में मुख्यमंत्री पद संभालने के साथ ही प्रदेश में आए शाहिद अपनी प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी नहीं कर सके और केंद्र के आदेश पर उन्हें तत्काल दिल्ली जाना पड़ा।

आइएएस प्रशिक्षुओं की प्रशिक्षण स्थली मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी जैसे उच्च-सुरक्षा वाले संस्थान में बड़े पैमाने पर सुरक्षा चूक का मामला सामने आने से प्रदेश के साथ ही देश में भी हड़कंप मच गया। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की रहने वाली रूबी चौधरी नाम की युवती प्रतिष्ठित आइएएस अकादमी में फर्जी प्रशिक्षु आइएएस बनकर छह महीने तक रही और अकादमी के सुरक्षा स्टाफ ने इस बात का पता चलने के बाद भी उसे बिना किसी कार्रवाई के चुपचाप जाने दिया। बाद में मामला खुलने पर रूबी के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और उसे गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में रूबी ने बताया कि वह अकादमी के उप निदेशक सौरभ जैन की मदद से संस्थान में छह माह तक रही और जैन ने उसे घूस लेकर अकादमी में नौकरी लगाने का झांसा दिया था। जैन और अकादमी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया।
बाद में, मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित किया गया जिसने एक महीने की जांच के बाद मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराए जाने की सिफारिश कर दी। मुख्यमंत्री की सहमति नहीं मिलने के बाद जांच का जिम्मा पुलिस के पास वापस आ गया लेकिन जांच बेनतीजा ही रही और बाद में रूबी को भी रिहा कर दिया गया।

वहीं देहरादून में निराश्रित महिलाओं के लिए बने सरकारी नारी निकेतन में रह रही एक मूक-बधिर संवासिनी के साथ कथित बलात्कार और उसका गर्भपात कराए जाने की खबरों ने एक बार फिर प्रदेश की सियासत में गर्मी पैदा कर दी। भाजपा और सामाजिक संगठनों के उग्र तेवरों के मद्देनजर मामले की नजाकत भांपते हुए मुख्यमंत्री ने मामले की जांच एक विशेष जांच दल (सिट) से कराने की घोषणा की। मामले में नारी निकेतन की पूर्व अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल सहित अब तक आठ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

वहीं सूचना के अधिकार कानून के तहत ली गई जानकारी में 2013 में आयी प्रलयकारी आपदा के बाद राहत वितरण में कथित तौर पर अफसरों द्वारा मौज उड़ाने की बात सामने आने के बाद एक बार फिर प्रदेश में बवाल मच गया। जांच में पता चला कि आपदा राहत कार्यों की देख रेख कर रहे अधिकारी न केवल कथित रूप से लग्जरी होटलों में रहे और चिकन और मटन का लुत्फ उठाया बल्कि राहत वितरण में भी जमकर धांधली हुई। अफसरों ने आपदा के दौरान 194 रुपए में आधा किलो दूध खरीदा और होटलों में रहने का 7000 रुपए प्रतिदिन का किराया भी अदा किया। भाजपा द्वारा इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग को सरकार ने कोई तवज्जो नहीं दी और तत्कालीन मुख्य सचिव एन रविशंकर को जांच सौंप दी। उन्होंने कहीं कोई गड़बड़ी नहीं पाते हुए राज्य सरकार के अफसरों को क्लीन चिट दे दी।

इस साल आपदा प्रभावित केदारनाथ क्षेत्र में पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी आई। रावत ने केदारनाथ में पुननिर्माण से संबंधित 115 करोड़ रुपए से ज्यादा के कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण करते हुए उम्मीद जाहिर की कि यह क्षेत्र जल्द ही अपने पुराने गौरव को हासिल कर लेगा। आपदा के बाद ‘सुरक्षित और सुगम्य उत्तराखंड’ के नारे के साथ पर्यटकों और श्रद्घालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में लगी राज्य सरकार को उस समय एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी जब उसने 2018 में होने वाले राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी हासिल कर ली। जानकारों का मानना है खेलों के लिए जरूरी ढांचागत सुविधाएं विकसित कर रहे राज्य को इससे वापस पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी।