पांच साल के लॉ कोर्स में दाखिला करने की तैयारी कर रहे दिल्ली विवि को दिल्ली हाईकोर्ट से फटकार मिली है। दरअसल विवि पांच साल के विधि पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए नेशनल पॉलिसी से उलट जाकर क्लैट-यूजी के जरिये एडमिशन देने जा रहा था। मामला कोर्ट पहुंचा तो लेने के देने पड़ गए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विवि के केवल संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (क्लैट-यूजी), 2023 के आधार पर छात्रों को पांच साल के विधि पाठ्यक्रम में दाखिला देने के फैसले पर सवाल उठाया। हाईकोर्ट ने कहा कि जब अन्य विवि शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) यूजी 2023 के आधार पर इस पाठ्यक्रम में दाखिला दे रहे हैं तो दिल्ली विवि कोई अलग नहीं है।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा कि जब शिक्षा मंत्रालय ने फैसला ले लिया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले केवल सीयूईट से होंगे तो आप अलग राह क्यों पकड़ रहे हैं। अदालत दिल्ली विवि के लॉ कोर्स में केवल क्लैट-यूजी, 2023 के आधार पर दाखिले देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। बेंच ने डीयू के वकील को याचिका पर 25 अगस्त को अगली सुनवाई होने से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है।

डीयू के साथ केंद्र के वकील से भी हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

बेंच ने कहा कि डीयू तय समय में जवाब दाखिल नहीं करती है तो वो अंतरिम राहत के मसले पर विचार करेगी। कोर्ट ने केंद्र को भी याचिका पर जवाब देने को कहा। केंद्र के वकील से कहा गया कि वो अथॉरिटी से जरूरी दिशा निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराए। डीयू के वकील ने कहा कि इस साल से ही पांच साल का लॉ कोर्स शुरू किया गया है। चार अगस्त की अधिसूचना पर अगर रोक लगाई जाती है तो पूरा साल बेकार चला जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी कोई दाखिला नहीं हो रहा है। केवल अधिसूचना जारी की गयी है। डीयू के वकील ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि विवि सुनवाई की अगली तारीख तक ऐसा कोई विज्ञापन जारी नहीं करेगा, जिसमें क्लैट के आधार पर दाखिले का आवेदन मांगा गया हो।