दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव के एक महीने बाद भी उसका असर अभी कम नहीं हुआ है। चुनाव जीतने के बाद बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपने साथी निशिकांत दुबे पर निशाना साधते हुए उन्हें अहंकारी बताया।

63 वर्षीय रूडी ने हाल ही में अपने साथी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर निशाना साधा और कहा, “अहंकारी दुबे ने अपनी क्षमताओं पर अति-आत्मविश्वास और सब कुछ नियंत्रित करने की चाहत में अपनी मर्ज़ी से यह कदम उठाया। गौरतलब है कि दिल्ली कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव में में सचिव (प्रशासन) पद के लिए निशिकांत दुबे राजीव रूडी के सामने खड़े भाजपा के ही संजीव बालियान का प्रचार कर रहे थे।

राजीव प्रताप रूडी ने निशिकांत दुबे के साथ अपने रिश्तों के बारे में क्या बताया?

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, राजीव प्रताप रूडी ने निशिकांत दुबे के साथ अपने रिश्तों के बारे में हंसते हुए बताया कि कैसे दुबे जो कॉर्पोरेट फील्ड से आते हैं और 2009 में पहली बार सांसद बने थे, रूडी के प्रशंसक हुआ करते थे और उनकी नकल करना चाहते थे। रूडी कहते हैं, “मुझे खुशी होती अगर उन्होंने मेरी नकल की होती। यह वाकई बहुत अच्छा होता लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने ऐसा नहीं किया।”

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राजीव प्रताप रूडी ने एक न्यूज वेबसाइट के साथ इंटरव्यू में कहा था कि संसद के अंदर सरकार से इतर निशिकांत दुबे खुद में सरकार हैं लेकिन मैं उनकी सरकार का हिस्सा नहीं हूं। मैं इंडिपेंडेंट हूं। भाजपा सांसद ने कहा कि निशिकांत दुबे अकेले दम पर ही संसद चलाना चाहते हैं।

ट्रेंड पायलट और अब भी कमर्शियल विमान उड़ाने वाले रूडी कभी अपनी पत्नी नीलम के साथ दिल्ली में पेज 3 पार्टियों में नियमित रूप से शामिल होते थे। दिल्ली में उनका घर युवा सांसदों का पसंदीदा अड्डा हुआ करता था। बिहार से कई बार सांसद रहे इस नेता के पार्टी लाइन से ऊपर उठकर भी अच्छे संबंध हैं, यही एक वजह है कि विपक्षी नेता कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब के चुनाव में उनके लिए वोट देने के लिए बड़ी संख्या में उमड़े। रूडी को 391 वोट मिले जबकि बालियान को 291 वोट मिले थे।

निशिकांत दुबे को मेरा विरोध करने के लिए नहीं कहा गया था- राजीव रूडी

इस चुनाव को भाजपा के दो दिग्गजों के बीच सत्ता संघर्ष की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा था। रूडी का कहना है कि ऐसी अटकलों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब चुनाव से पहले निशिकांत दुबे पर अफवाहें फैलाने का आरोप लगाते हुए राजीव रूडी ने कहा, “उन्हें मेरा विरोध करने के लिए नहीं कहा गया था, न ही उन्हें शीर्ष नेतृत्व में से किसी का आशीर्वाद प्राप्त था। उन्होंने वही किया जो वे करना चाहते थे। शीर्ष नेतृत्व ने उनके रुख का कोई समर्थन नहीं किया। बिल्कुल नहीं। मुझे इस बात का पूरा यकीन है।”

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राजीव प्रताप रूडी ने कहा, “उनको मिला भारी समर्थन कॉन्स्टिट्यूशन क्लब को एक ब्रांड के रूप में विकसित करने में किए गए उनके काम का समर्थन था। सोनिया गांधी जैसे वरिष्ठ नेताओं सहित हर पार्टी के नेता वोट देने आए। इससे एक अच्छा संदेश गया।” यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा नेताओं के बीच सार्वजनिक रूप से लड़ाई उस पार्टी के लिए असामान्य थी जो अपने कार्यकर्ताओं के बीच अनुशासन की कसम खाती है, रूडी ने कहा, “यह भाजपा का चुनाव नहीं था, न ही यह पार्टी लाइन पर लड़ा गया था। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं था। इसके नेतृत्व की इसमें कोई भूमिका नहीं थी और वे कभी इसमें शामिल नहीं थे।”

राजीव रूडी को लेकर क्या बोले साथी नेता

एक वरिष्ठ भाजपा नेता पार्टी में रूडी की एक अहम भूमिका को स्वीकार करते हैं। नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “चुनावों में वे दिग्गजों से मुकाबला करने से नहीं डरते। सदन के अंदर भी, बिहार के विकास के मुद्दों पर वे अपनी बात कहने से नहीं हिचकिचाते। विभिन्न दलों के दोस्तों के साथ वे भाजपा नेताओं की आम शैली नहीं अपनाते। एक मंत्री के रूप में रूडी ज़्यादा कुछ नहीं कर पाए। मैं उन्हें एक अच्छा काम करने वाला मंत्री नहीं लेकिन इतना कहूंगा एक सांसद के रूप में वे लोकप्रिय हैं और अपने क्षेत्र के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।”

राजीव रूडी कहते हैं कि उनके बारे में जो छवि बनाई गई है उसके विपरीत वह कट्टर भाजपाई हैं। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसी धारणा है जिसे मैं बदल नहीं सकता। मैं कट्टर भाजपाई हूं, था और रहूंगा।”