हुर्रियत के कट्टरपंथी नेता मसर्रत आलम की रिहाई की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जम्मू कश्मीर में पीडीपी-भाजपा सरकार के ‘लगातार दुस्साहस’ पर अपना रुख साफ करने को कहा। पार्टी ने इसे घाटी में शांति के लिए खतरा बताया है।

एआईसीसी संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘हम मसर्रत आलम की रिहाई की कड़ी निंदा करते हैं। प्रधानमंत्री और भाजपा को यह जवाब देना होगा कि पीडीपी-भाजपा सरकार लगातार एकतरफा फैसले से जम्मू कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को क्यों बिगाड़ रही है।’’

उन्होंने याद करते हुए कहा कि पीडीपी-भाजपा सरकार के शपथग्रहण के एक घंटे के भीतर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों, सुरक्षा बलों और चुनाव आयोग को धन्यवाद देने की बजाए अलगाववादियों, आतंकियों और पाकिस्तान का शुक्रिया अदा किया।

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘पथराव के मुख्य साजिशकर्ता मसर्रत आलम की रिहाई के कारण जम्मू कश्मीर में प्रतिबद्ध लोगों के साथ ही सुरक्षा बलों द्वारा बहुत कठिनाई से जम्मू कश्मीर में हासिल शांति को खतरा हो सकता है।’’

सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री से इस सवाल का जवाब मांगा है कि जम्मू कश्मीर में अपनी पार्टी के गठबंधन सरकार की ओर से ‘ऐसी बीमार सोच वाली टिप्पणी और दुस्साहस’ से क्या वह इत्तेफाक रखते हैं।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए ट्विटर पर अपनी राय रखी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा-पीडीपी सरकार ने श्रीनगर में मसर्रत आलम को रिहा किया, जम्मू में भाजपा ने विरोध जताया, दिल्ली में सवालों से बचने वाले मिस्टर प्रधानमंत्री बताइये, वह राजनीतिक बंदी है या आतंकवादी?’’

युवा कांग्रेस के पूर्व प्रमुख और पार्टी सांसद राजीव सातव ने भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मसर्रत आलम की रिहाई साबित करती है कि भाजपा ने पूरा यू टर्न ले लिया है। मोदीजी को बयान देना चाहिए।