लोकसभा चुनावों में भाजपा को 240 सीटें मिलीं। ये संख्या 2019 के चुनावों में 303 सीटों की तुलना में कम है। प्रमुख विपक्षी कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं, जो 2019 की उसकी 52 सीटों से लगभग दोगुनी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने 2019 की तुलना में 2024 के चुनावों में अपनी औसत जीत के अंतर में सुधार किया है।

बीजेपी की जीत का औसत अंतर अधिक

कुल मिलाकर वर्तमान चुनावों में भी भाजपा की औसत जीत का अंतर कांग्रेस से अधिक है। हालांकि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा की तुलना में बड़े औसत अंतर से जीत हासिल की है। 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि 240 सीटों पर भाजपा की औसत जीत का अंतर लगभग 3.36 लाख वोटों का है, जबकि कांग्रेस की 99 सीटों पर औसत जीत का अंतर लगभग 2.96 लाख वोटों का है।

2019 में भाजपा ने लगभग 2.32 लाख वोटों के औसत अंतर के साथ 303 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने लगभग 1.21 लाख वोटों के औसत अंतर के साथ 52 सीटें जीती थीं। इस प्रकार भाजपा का औसत मार्जिन 44% और कांग्रेस का 144% बढ़ गया।

उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में भाजपा की औसत जीत का अंतर लगभग 2.76 लाख वोटों का है, जो कांग्रेस के 2.05 लाख के औसत अंतर से अधिक है। बीजेपी को यूपी, राजस्थान और हरियाणा में बड़ा नुकसान हुआ, जबकि कांग्रेस एमपी में कोई भी सीट जीतने में नाकाम रही।

समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस बार लोकसभा चुनाव में यूपी में 37 सीटें जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इन सीटों पर उसकी औसत जीत का अंतर 77,556 वोट रहा। 2019 में जब पार्टी ने केवल पांच सीटें जीती थीं, तो उसका औसत अंतर लगभग 1.47 लाख वोटों का था।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में 42 में से 29 सीटें लगभग 1.69 लाख वोटों के औसत अंतर से जीती है। जबकि 2019 में इसका अंतर लगभग 1.63 लाख वोटों का अंतर था लेकिन पार्टी की जीत का अंतर इससे दोगुने से भी अधिक है। बंगाल में भाजपा की जीत का औसत अंतर 75,474 वोट है। बंगाल में भाजपा ने 12 सीटें जीतीं हैं। बीजेपी पिछले कई सालों से बंगाल में अपना विस्तार करने की कोशिश कर रही है।

तमिलनाडु में DMK (जिसने 2019 में लगभग 2.68 लाख वोटों के औसत अंतर के साथ 24 सीटें जीती थीं) का अंतर लगभग 2.31 लाख वोटों तक गिर गया, जबकि उसकी सीटों की संख्या घटकर 22 सीटों पर आ गई।

SC-ST सीटों पर कांग्रेस का शानदार प्रदर्शन

भाजपा ने देश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की है, लेकिन ऐसी सीटों पर कांग्रेस की औसत जीत का अंतर भाजपा से अधिक है। संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी इंडिया का अभियान आरक्षित सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की औसत जीत के अंतर की तुलना अधिक महत्व रखती है।

भाजपा ने देश की कुल 84 एससी-आरक्षित सीटों में से 30 पर 2.91 लाख वोटों के औसत अंतर से जीत हासिल की। कांग्रेस ने केवल 20 एससी सीटें जीतीं, लेकिन उसकी औसत जीत का अंतर 3.17 लाख वोट हैन जो भाजपा से अधिक है। 2019 में भाजपा ने 2.03 लाख वोटों के औसत अंतर के साथ 46 एससी सीटें हासिल की थीं, जबकि कांग्रेस ने 1.29 लाख वोटों के अंतर के साथ सिर्फ 6 एससी सीटें जीती थीं।

देश की 47 एसटी आरक्षित सीटों में से भाजपा ने 3.31 लाख वोटों के औसत अंतर से 25 सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस ने औसतन 4.29 लाख वोटों के अंतर से 12 सीटें जीतीं। 2019 के चुनावों में भाजपा ने 1.63 लाख वोटों के अंतर के साथ 31 सीटें हासिल की थीं, जबकि कांग्रेस ने 66,796 वोटों के अंतर के साथ केवल 4 एसटी सीटें जीती थीं। इस प्रकार 2019 की तुलना में एसटी सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर लगभग दोगुना हो गया, लेकिन कांग्रेस का अंतर सात गुना बढ़ गया।

गौरतलब है कि यूपी में चुनाव हारने वाले भाजपा के कई उम्मीदवारों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘संविधान और आरक्षण की सुरक्षा’ के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के अभियान ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के मतदाताओं को प्रभावित किया।