लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस कई राज्यों में पुनर्निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रही है। राहुल गांधी खुद कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटने का फैसला कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी को फिर से मजबूती से खड़ा करने के लिए पार्टी नेताओं के सामने जो दिक्कत आ रही है, वो ये है कि कई राज्यों में पार्टी नेता चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेने के तैयार नहीं है और उनकी अपना पद छोड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है। हरियाणा में कुछ समय बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते राहुल गांधी ने राज्य के करीब 15 नेताओं से एकसाथ और अलग-अलग भी बातचीत की। इन बैठकों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति पर चर्चा की गई। इन बैठकों में हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद भी शामिल रहे।

खबरों के अनुसार, इन बैठकों में राहुल गांधी ने राज्य के नेताओं से खुलकर बात की और राज्य में पार्टी नेतृत्व के बीच की गुटबाजी पर नाराजगी जाहिर की। राहुल गांधी ने इस दौरान कहा कि यदि पार्टी नेता मिलकर काम करते हैं तो वह भी उनकी मदद करेंगे। सूत्रों के अनुसार, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कुछ समर्थकों ने राज्य नेतृत्व में बदलाव की बात कही। उल्लेखनीय है कि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच गुटबाजी की खबरें है और हुड्डा, अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाने के पक्ष में हैं।

हरियाणा कांग्रेस के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘बैठक के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि वह हमारे साथ बैठ सकते हैं और मदद कर सकते हैं….लेकिन वह हरियाणा में नेतृत्व बदलाव के पक्ष में नहीं हैं।’ हालिया लोकसभा चुनाव में कई राज्यों की तरह हरियाणा में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था और पार्टी राज्य में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस ने पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरु भी कर दी है और राज्य में संगठन के स्तर पर कई समीतियों को भंग कर संगठन को फिर से खड़ा करने की तैयारी शुरु कर दी है। इसी बीच कांग्रेस के कानूनी, मानवाधिकार और आरटीआई विभाग के चेयरमैन विवेक तन्खा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा के सदस्य तन्खा ने ट्वीट कर कहा है कि ‘हम सभी को पार्टी के विभिन्न पदों से अपने इस्तीफे दे देने चाहिए, ताकि राहुल जी को अपनी मर्जी से अपनी टीम चुन सकें।’