Congress Plenary : महात्मा गांधी की हत्या को लेकर कांग्रेस अक्सर भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधती है। हालांकि रायपुर में राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे में गांधी की हत्या की तारीख को लेकर पार्टी खुद कन्फ़्यूज्ड दिखाई दी।

अधिवेशन के दौरान बांटे गए एक महत्वपूर्ण ड्राफ्ट में गांधी के शब्दों का हवाला देते हुए एक कथन लिखा था। जिसे महात्मा गांधी की आखरी प्रार्थना कहा गया था। ड्राफ्ट में लिखा था कि यह प्रार्थना उन्होने 30 अक्टूबर 1948 को सुबह 4 बजे की थी। तारीख को लेकर हुई इस गलती को महसूस करते करने के बाद पार्टी ने अंतिम प्रस्ताव में इसे 30 जनवरी 1948 कर दिया।

मौलाना आजाद की तस्वीर ना होने को लेकर भी हुआ था विवाद

कांग्रेस का एक विज्ञापन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें कांग्रेस के पहले अध्यक्ष मौलाना आजाद की तस्वीर ना होने पर लोगों ने सवाल उठाये हैं। हालांकि कांग्रेस ने इसे अपनी गलती मान कर माफ़ी मांग ली और इस पर जांच की बात कही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर मौलाना आजाद की तस्वीर न लगाए जाने पर पार्टी का पक्ष रखा है।

जयराम रमेश ने लिखा कि आज कांग्रेस द्वारा जारी एक विज्ञापन में मौलाना आज़ाद की तस्वीर नहीं थी। यह एक क्षमा न करने योग्य भूल है। इसकी ज़िम्मेदारी तय की जा रही है और कार्रवाई की जाएगी। हम दिल से माफ़ी मांगते हैं। वह हमारे और पूरे भारत के लिए एक प्रतिष्ठित और प्रेरक व्यक्ति बने रहेंगे।

इसके साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के स्टेज की कुछ तस्वीरें भी साझा की गयी जिसमें मौलाना आजाद प्रमुखता से नजर आ रहे हैं। हालांकि इस मामले को लेकर अच्छा खासा विरोध देखा गया है।

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के बैनर पर नजर आई थी सावरकर की तस्वीर

कांग्रेस पहले भी ऐसे ही विवादों का सामना करती रही है। विनायक दामोदर सावरकर को लेकर हमलवार दिखाई देने वाली कांग्रेस उस समय भी विवाद में आ गयी थी जब भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के एक बैनर पर सावरकर की तस्वीर दिखाई थी। हालांकि पार्टी ने साफ किया था कि यह किसी स्थानीय नेता ने किया था जिसे निलंबित कर दिया गया था। इस बैनर को ढक दिया गया था।