कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर जीडीपी के ताजा अनुमानों को लेकर चुटकी ली है। शुक्रवार (5 जनवरी) को केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पहला अनुमान जारी कर बताया कि विकास दर 7 फीसदी से गिरकर 6.5 फीसदी के आसपास रहेगी। पिछले साल विकास दर 7.1 दर्ज की गई थी। 2015-16 में यह आठ फीसदी के करीब थी। वहीं, 2014-15 में विकास दर साढ़े सात फीसदी थी। इस पर राहुल गांधी ने बताया कि जब जीनियस जेटली के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की जीडीपी मिलती है तो क्या होता है? राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा- जब जीनियस जेटली के साथ पीएम मोदी की जीडीपी (सकल विभाजकारी राजनीति) मिलती है तो 13 वर्षों में नए निवेश गिर जाते हैं। 13 वर्षों में बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ रुक जाती है। 8 वर्षों बाद रोजगार के अवसर पैदा नहीं होते हैं। कृषि के योजित सकल मूल्य की वृद्धि 1.7 फीसदी से नीचे गिर जाती है। 8 वर्षों बाद राजकोषीय घाटा होता है और परियोजनाएं स्थगित हो जाती हैं।

पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने भी ट्वीट कर कहा कि जिस बात की हम चेतावनी दे रहे थे वह साबित हो गई। विकास दर के गिरने से तय है कि देश में मंदी के दौर से गुजर रहा है। क्या सरकार विकास दर में इजाफा करने के वादे जारी रखेगी? इस मंदी में रोजगार कैसे पैदा होंगे और हर साल जिन 2 करोड़ रोजगारों के अवसरों का वादा किया था वे कैसे पैदा होंगे? उन्होंने सरकार को नसीहत दी थी कि बड़ी बातें करने के बजाय ठोस काम करना चाहिए।

इससे पहले केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पहला अनुमान जारी कर बताया था कि विकास दर कम रहेगी। सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) के अनुसार, इस वित्त वर्ष में विकास दर में कमी देखने को मिलेगी। आपको बता दें कि तीन तिमाही के आंकड़ों के साथ जीडीपी का दूसरा अनुमान 28 फरवरी को जारी किया जाएगा। पूरे साल के आंकड़े 2018 में जारी किए जाएंगे। कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जीडीपी की वृद्धि दर चालू 2017-18 में 6.5 प्रतिशत के चार साल के निचले स्तर पर रहेगी। नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में यह सबसे कम वृद्धि दर होगी। नरेंद्र मोदी की सरकार ने मई 2014 में अपना कार्यभार संभाला था। जानकार इसे आर्थिक मोर्चे पर देश के लिए इसे झटके के तौर पर देख रहे हैं।