पिछले करीब डेढ़ महीने से हिंसा, पत्थरबाजी, कर्फ्यू और तरह-तरह की पाबंदियां झेल रहे अशांत और अस्थिर जम्मू-कश्मीर को लेकर मंगलवार को राजनीतिक सरगर्मियां और तेज हो गईं। कांग्रेस ने राज्य में अशांति दूर करने के लिए बातचीत की पहल करने की कड़ी वकालत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए पहल करनी चाहिए। उधर गृहमंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को घाटी के दो दिवसीय दौरे जा रहे हैं। सोमवार को ही पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्ष के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर की स्थिति पर गहरी चिंता और दुख जताते हुए कहा था कि स्थाई और टिकाऊ समाधान ढूंढ़ने में राजनीतिक दल मिल कर काम करें।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार से कश्मीर घाटी की दो दिवसीय यात्रा शुरू करेंगे। इस यात्रा के दौरान वे वहां की स्थिति की समीक्षा करेंगे। इसके साथ ही वे समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ बातचीत भी कर सकते हैं। घाटी के हालात बिगड़ने के बाद राजनाथ की वहां यह दूसरी यात्रा है। राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करने की अपील करते हुए घाटी में लोगों तक पहुंचने के लिए उन्होंने कहा- जहां तक भारत सरकार की बात है, मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हम लोग केवल जरूरत के आधार पर संबंध नहीं चाहते हैं बल्कि कश्मीर के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बनाना चाहते हैं। सुरक्षा बलों के साथ आठ जुलाई को हुई एक मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद उत्पन्न अशांति के बाद वहां उत्पन्न हुई हिंसा की विभिन्न घटनाओं में दो पुलिसकर्मियों सहित 65 लोगों की मौत हो चुकी है और कई हजार अन्य लोग घायल हुए हैं।
कांग्रेस ने कश्मीर में अशांति दूर करने के लिए वार्ता की पहल करने की कड़ी वकालत की है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के बयान का जिक्र करते हुए पार्टी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री को वार्ता की पहल करनी चाहिए। जब तक वे कदम नहीं उठाएंगे तब तक जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार नहीं होगा। पार्टी की यह टिप्पणी तब आई है जब पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने घाटी में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की वकालत की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सोमवार की वार्ता का स्वागत किया जाना चाहिए अगर यह नई सोच का पहला संकेत प्रतीत होता है तो। उन्होंने कहा- अगला कदम जम्मू-कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजना होना चाहिए।
कांग्रेस ने कश्मीर घाटी में अशांति के स्थायी समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वार्ता के आह्वान को सोमवार को ही ‘बिना सोचे समझे बोलना’ कहते हुए खारिज कर दिया था। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा था- लगता है कि प्रधानमंत्री के शब्द बदलते रहते हैं। सर्वदलीय बैठक में उन्होंने जो कहा, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने कुछ और बयान दिया और आज वे वार्ता की बात कर रहे हैं। लेकिन वार्ता किससे हो? संदेह है कि यह महज बयानबाजी है, प्रधानमंत्री की तरफ से खोखले वादे। वे बिना सोचे-समझे बोल रहे हैं, हवा में बात कर रहे हैं।
पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल तत्काल कश्मीर घाटी भेजने की मांग करते हुए मंगलवार को कहा कि हल निकालने के लिए यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कश्मीर में स्थिति विस्फोटक हो जाएगी। एंटनी ने दो वर्ष पहले कश्मीर का दौरा करने वाले केरल के पत्रकारों के एक समूह की एक पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा, ‘हल निकालने के लिए यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कश्मीर घाटी में स्थिति विस्फोटक और हाथ से बाहर हो जाएगी।’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘कश्मीर अब एक ज्वालामुखी है। लोगों, विशेष तौर पर युवाओं, के मन में अविश्वास, भय और क्रोध है। केंद्र को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए नहीं तो स्थिति बेहद बिगड़ सकती है। कश्मीर में चीजें नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी।’ उन्होंने कहा कि घाटी में एक राजनीतिक हल निकालने के लिए राज्य के सभी हितधारकोें के साथ बातचीत के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों का दिल और विश्वास जीतने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए, ‘यह एक मुश्किल कार्य है लेकिन हमें वह करना होगा।’ उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में ऐसा पहली बार है जब कश्मीर में इतने लंबे समय तक कर्फ्यू जारी है। सरकार शुरूआती चरणों में मुद्दे की गंभीरता को समझने में असफल रही। यद्यपि वे अब स्थिति की गंभीरता समझे हैं।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की विधानसभा ने बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी की आलोचना करते हुए एक प्रस्ताव को मंगलवार को स्वीकार किया और संघीय सरकार से इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने को कहा। पंजाब के विधि मंत्री राणा सनाउल्ला के सदन में रखे गए प्रस्ताव को आम सहमति से स्वीकार किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि सदन बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान पर मोदी के बयान की कड़ी आलोचना करता है और इसे पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों मेंं हस्तक्षेप बताया। प्रस्ताव में कहा गया है कि संघ सरकार को यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए। दुनिया को पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में मोदी सरकार के हस्तक्षेप के बारे में बताना चाहिए।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के विधायक खुर्रम वाट्टू ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वह संघ सरकार को भारत से सभी संबंध तोड़ने को कहें। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता महमूदुर राशीद ने आरोप लगाया कि मोदी का बयान दूसरे राष्ट्रों के मामलों में असहिष्णुता और हस्तक्षेप की उनकी नीति को दिखाता है। स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान सहित पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के लोगों ने उनकी समस्याएं उठाने के लिए उनको धन्यवाद दिया है।

