उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा को पद से हटाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सीजेआई को पद से हटाने का नोटिस देने में अहम भूमिका निभाने वाले कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति के कदम पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि गलत सलाह पर नोटिस को ठुकराया गया है। सिब्बल के अनुसार, उपराष्ट्रपति को यह फैसला लेने से पहले कॉलेजियम से संपर्क करना चाहिए था। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘हमलोग निश्चित तौर पर इसके खिलाफ (उपराष्ट्रपति द्वारा अर्जी खारिज करने का निर्णय) सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करेंगे। हमलोग चाहते हैं कि सीजेआई खुद इस पर कोई फैसला न लें। फिर चाहे वह याचिका को सुनवाई के लिए लिस्टेड करने का मामला हो या कुछ और…सुप्रीम कोर्ट इस पर (उपराष्ट्रपति के निर्णय के खिलाफ दाखिल याचिका) जो भी फैसला देगा हमें स्वीकार्य होगा।’
The rejection of notice for removal of chief justice is ill advised, Vice-President should have consulted collegium: Kapil Sibal, Congresshttps://t.co/CZtmRiWQZa pic.twitter.com/CH3TUMzpCX
— Times of India (@timesofindia) April 23, 2018
We'll certainly file a petition (in Supreme Court) against this & would want the CJI to not take any decision with respect to it, be it the listing or anything else, we;ll accept whatever SC decides: Kapil Sibal after impeachment motion against CJI was rejected by Vice President pic.twitter.com/mOBOF0PIeP
— ANI (@ANI) April 23, 2018
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सोमवार (23 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में आम दिनों की तरह कामकाज शुरू होने से ठीक पहले सीजेआई को पद से हटाने वाले नोटिस को खारिज कर दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 10:30 के बजाय 10:45 बजे कामकाज शुरू हुआ। राज्यसभा के सभापति ने नोटिस में दिए गए तथ्यों को सीजेआई को पद से हटाने के लिए राज्यसभा में प्रक्रिया शुरू करने के लिए अपर्याप्त माना। कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति के फैसले पर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस का कहना है कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत सीजेआई को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। नोटिस में पर्याप्त सदस्यों के हस्ताक्षर थे, ऐसे में राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले सकते हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘वास्तव में यह लड़ाई लोकतंत्र को खारिज करने और प्रजातंत्र को बचाने वाली ताकतों के बीच है।’ बता दें कि देश के इतिहास में यह पहला मौका था, जब देश के मुख्य न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया गया। जज लोया की मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष ने सीजेआई के खिलाफ राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया था।
