सोनिया गांधी के दाएं हाथ रहे अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। पटेल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव के रूप में भी काम किया।
अहमद पटेल के निधन पर सोनिया गांधी ने कहा कि मैंने एक सहयोगी को खो दिया है, जिसका पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित था। मैं एक वफादार सहयोगी और एक दोस्त खो चुकी हूं। उनके शोक संतप्त परिवार के लिए संवेदना। मेरी सहानुभूति उनके साथ है। अहमद पटेल के बारे में कहा जाता था कि वह इतने पावरफुल थे कि मंत्री न होकर भी वह मंत्रियों से ज्यादा अहमियत रखते थे। वे अक्सर पर्दे के पीछे ही काम करना पसंद करते थे।
अहमद पटेल 1977 में 26 साल की उम्र में भरुच से लोकसभा चुनाव जीतकर तब के सबसे युवा सांसद बने थे। वह 1977 से 1989 तक तीन बार लोकसभा सांसद के रूप में निर्वाचित हुए थे। 1993 से वह लगातार राज्य सभा के सदस्य रहे। अहमद पटेल 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई।
सितंबर 1983 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का संयुक्त सचिव चुना गया। 1985 में जनवरी से सितंबर तक वो तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे। अहमद पटेल सितंबर 1985 से जनवरी 1986 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समति के महासचिव पद पर रहे। जनवरी 1986 में उन्हें गुजरात कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।
1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, तो अहमद पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया। 1996 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का कोषाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। साल 2000 सोनिया गांधी के प्राइवेट सेक्रेटरी वी जॉर्ज से मनमुटाव होने के बाद उन्होंने ये पद छोड़ दिया।
बाद में 2001 में वह सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन गए। कहा जाता है कि पटेल ने 2004 व 2009 के लोकसभा चुनावों में यूपीए को जीत दिलाने में प्रमुख रणनीतिकार की भूमिका अदा की। अहमद पटेल मनमोहन सिंह सरकार के कई अहम फैसलों में निर्णायक भूमिका में रहे।