Jammu and Kashmir Politics: कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। कर्नाटक के बाद अब एक और राज्य से पार्टी नेताओं के बीच लड़ाई और गुटबाजी की खबर सामने आई है। यह राज्य जम्मू-कश्मीर है और यहां पहले भी पार्टी नेताओं के बीच सियासी अदावत चलती रही है।

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के एक गुट ने आरोप लगाया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने उन्हें दरकिनार कर दिया है। इन नेताओं की मांग है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया जाए। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने की मांग हुई है लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि जम्मू के नेताओं ने एक प्रदेश कांग्रेस की अलग इकाई बनाने तक की मांग उठा दी है।

इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास अलग इकाई और मुंबई में एक अलग कांग्रेस यूनिट है। इस मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक को पत्र लिखा जा चुका है और उनसे मुलाकात की मांग की है।

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बगावत करने वाले गुट के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ भारी नाराजगी है। प्रदेश अध्यक्ष ने सीनियर नेताओं को नजरअंदाज कर ऐसे लोगों का गुट बना लिया है जो बाहर से आए हैं और हमसे कोई सलाह नहीं ली जाती।’

कर्रा के वफादार नेताओं ने दिया जवाब

बगावत करने वालों को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कर्रा के वफादार नेताओं ने जवाब दिया है और इसे भाजपा-आरएसएस की साजिश बताया है। कर्रा के करीबी माने जाने वाले एक नेता ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर को तीन हिस्सों में बांटना हमेशा से RSS का एजेंडा रहा है और अब वे इसे लागू करना चाहते हैं, जैसा राहुल गांधी कहते हैं कांग्रेस में बीजेपी के स्लीपर सेल हैं, यह नेता उन स्लीपर सेल में से एक हैं।’

एक नेता ने यह भी आरोप लगाया कि हम इन्हीं लोगों की वजह से चुनाव हारे। बताना जरूरी होगा कि कांग्रेस पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी और कश्मीर में पांच और जम्मू में सिर्फ एक सीट पर उसे जीत मिली।

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लंबे वक्त से चल रही है लड़ाई

इसके अलावा भी जम्मू-कश्मीर कांग्रेस में बड़े पैमाने पर अंदरूनी लड़ाई की खबरें सामने आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर में पिछले एक दशक में प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने वाले चारों नेताओं को विद्रोह का सामना करना पड़ा है।

इन नेताओं में 2015 में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज के खिलाफ बगावत हुई थी। उस दौर में कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी माने जाने वाले कई नेताओं ने सोज से इस्तीफा देने के लिए कहा था और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

इसके बाद गुलाम अहमद मीर प्रदेश अध्यक्ष बने थे। मीर को भी अपने कार्यकाल के दौरान लगातार लड़ाइयों से जूझना पड़ा। मीर के बाद विकार रसूल जम्मूड-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष बने और उस दौरान भी पार्टी में असंतोष की खबरें आती रही जिसके बाद पार्टी ने कर्रा को अध्यक्ष बनाया। कर्रा के वफादार एक नेता कहते हैं कि यह वही लोग हैं जो पहले सोज और फिर मीर और अब कर्रा के खिलाफ हैं।

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