लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए सीटों को लेकर किसी भी तरह के विवादों से बचने के लिए कांग्रेस नई रणनीति पर काम कर रही है। आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) गुट के सहयोगियों की खींचतान और दबाव के बीच कांग्रेस नेतृत्व ने गुरुवार को राज्य इकाइयों से कहा कि पार्टी अगले लोकसभा चुनावों में 255 सीटों पर फोकस करेगी। यह शायद 2019 के राष्ट्रीय चुनावों की तुलना में कम सीटों पर चुनाव लड़ने की उसकी तैयारी का संकेत है। पार्टी ने यह भी घोषणा की कि आईएनडीआईए के साझेदारों के साथ सीट साझा करने की बातचीत तुरंत शुरू होगी।
खड़गे और राहुल गांधी ने राष्ट्रीय गठबंधन समिति से की चर्चा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने एआईसीसी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के साथ पार्टी की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति के सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में राज्य इकाइयों के साथ व्यापक चर्चा की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट नेतृत्व को सौंप दी और उसे आईएनडीआईए ब्लॉक के घटकों के साथ बातचीत शुरू करने की अनुमति दे दी गई।
दूसरे दलों को समायोजित करने के लिए पार्टी ने किया फैसला
सूत्रों ने कहा कि खड़गे ने दिन में एआईसीसी महासचिवों और राज्य प्रभारियों, राज्य कांग्रेस अध्यक्षों और कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेताओं की एक अलग बैठक में कहा कि पार्टी 255 सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी। बैठक में राहुल गांधी भी शामिल हुए। राज्य के नेताओं ने इसे एक संकेत के रूप में पढ़ा कि पार्टी इस बार आईएनडीआईए गठबंधन की दलों को समायोजित करने के लिए कम संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार थी।
2019 के चुनावों में पार्टी ने 421 सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार
2019 के लोकसभा चुनावों में, पार्टी ने 421 सीटों पर चुनाव लड़ा और 52 सीटें जीतीं। कुछ राज्यों में वह गठबंधन का हिस्सा थी। इनमें बिहार में आरजेडी, महाराष्ट्र में एनसीपी, कर्नाटक में जेडी (एस), झारखंड में झामुमो (JMM) और तमिलनाडु में डीएमके के साथ थी। पार्टी ने बिहार की 40 सीटों में से केवल नौ सीटों पर, झारखंड की 14 सीटों में से सात सीटों पर, कर्नाटक की 28 सीटों में से 21 सीटों पर, महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 25 सीटों पर और तमिलनाडु की 39 सीटों में से नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था। उत्तर प्रदेश में उसने 80 में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ा।
कांग्रेस जानती है कि कुछ राज्यों, खासकर दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में सीटों का बंटवारा मुश्किलों भरा होने वाला है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने संकेत दिया है कि वह पंजाब में कांग्रेस के साथ सीट साझा करने के लिए समझौता करने को इच्छुक है, लेकिन कांग्रेस की राज्य इकाई का मानना है कि वहां सत्तारूढ़ आप के साथ कोई भी समझौता आत्मघाती होगा। बंगाल इकाई भी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ है। यूपी में समाजवादी पार्टी ने संकेत दिया था कि वह 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस और आरएलडी के लिए सिर्फ 15 सीटें छोड़ेगी।
पार्टी ने राज्य-दर-राज्य आधार पर आईएनडीआईए दलों के साथ बातचीत करने का फैसला किया है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ बातचीत करेगी, उदाहरण के लिए कांग्रेस आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ सीट बंटवारे को लेकर दिल्ली और पंजाब के लिए बातचीत करेगी, साथ ही गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों में भी जहां अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी कुछ प्रभाव होने का दावा करती है। यही बात वामपंथियों और अन्य पार्टियों पर भी लागू होगी, जो आईएनडीआईए गठबंधन के बैनर तले एक से अधिक राज्यों में चुनाव लड़ना चाहती हैं।