आपातकाल के दिनों में इंदिरा गांधी के भरोसेमंद वकील और राजीव गांधी को कानूनी सलाह देने वाले हंस राज भारद्वाज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया। कांग्रेस के 2004 में सत्ता में लौटने के बाद भारद्वाज केंद्रीय कानून मंत्री के रूप में सोनिया गांधी की पहली पसंद थे। भरद्वाज दशक तक कांग्रेस के संकट मोचक रहे और हर बुरे वक़्त में पार्टी के साथ खड़े रहे। 83 वर्षीय भारद्वाज की रविवार को हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। उनकी मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शोक व्यक्त किया है।
भारद्वाज अपनी वफादारी के लिए जाने जाते थे। अपने जीवन के अंतिम वर्षों तक वे हमेशा नेहरू-गांधी परिवार के वफादारी रहे। भारद्वाज 2004 से 2009 तक यूपीए-1 में केंद्रीय कानून मंत्री रहे। लेकिन ये उनका सबसे विवादित कार्यकाल रहा। इस दौरान उन्होंने बोफोर्स घोटाले को लेकर राजीव गांधी का बचाव किया था। हालांकि, अंत में उनके और कांग्रेस के बीच कड़वाहट पैदा हो गई उन्होंने कांग्रेस पर उन्हें दरकिनार करने का आरोप भी लगाया था। इसके बाद वह पांच साल तक कर्नाटक के राज्यपाल भी रहे। इसके अलावा वह कई बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
भारद्वाज का सार्वजनिक जीवन 1977 में शुरू हुआ जब कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल ने जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान उन्हें इंदिरा गांधी से मिलवाया। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी के कुछ मुकदमों को संभाला। इसके बाद अगले पांच वर्षों में उनकी व्यापारिक वृद्धि देखी गई और वे राज्यसभा के लिए चुने गए। दिसंबर 1984 में, पहली बार भारद्वाज को कानून और न्याय राज्य मंत्री नामित किया गया। वे 27 वर्षों तक राज्यसभा सदस्य रहे साल 2009 में उन्होने कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में पदभार संभालने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दिया। उन्होंने कभी कोई प्रत्यक्ष चुनाव नहीं लड़ा।
रविवार को उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने दुख जताया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने मोदी के हवाले से ट्वीट किया, “पूर्व मंत्री हंसराज भारद्वाज के निधन से दुखी हूं।” ट्वीट में कहा गया है, “दुख की इस घड़ी में मैं उनके परिवार और शुभचिंतकों से संवेदना जताता हूं।”