राजस्थान के उदयपुर में आज से कांग्रेस का तीन दिवसीय चिंतन शिविर शुरू हो रहा है। इस शिविर में पार्टी संगठन को मजबूती देने और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को मजबूत करने पर जोर होगा। शिविर में पार्टी के 430 से अधिक दिग्गज नेता शामिल होंगे। माना जा रहा है कि पार्टी युवा और नए चेहरों को नेतृत्व के स्तर पर लाने पर विचार करेगी।

द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पार्टी नेता कांग्रेस को युवा पार्टी की छवि के तौर पर रिब्रांड करने पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए सभी स्तरों पर संगठन में पदों पर रहने और चुनाव लड़ने के लिए नेताओं की आयु सीमा पर विचार होगा। इसके अलावा राज्यसभा सदस्यों के लिए एक कार्यकाल-सीमा तय करने पर भी गंभीरता से पार्टी विचार कर सकती है।

गौरतलब है कि ऐसा पार्टी को “युवा रूप” देने के चलते हो रहा है। कांग्रेस चिंतन शिविर के लिए विचार-विमर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दो वरिष्ठ नेताओं ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पार्टी दो प्रस्तावों के बारे में गंभीरता से सोच रही है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि ये प्रस्ताव क्या आकार लेंगे।

सूत्रों ने कहा कि युवाओं को नेतृत्व स्तर पर लाना और उम्र सीमा तय करने के प्रस्तावों का अभी अंतिम रूप सामने नहीं आया है। जैसे आयु सीमा क्या होनी चाहिए, 70 या 75? और क्या राज्यसभा की टर्म कितनी हो सकती है। इसे 2 या 3 तक सीमित करना है? इसके साथ ही विचार यह भी है कि एक निश्चित आयु से ऊपर के किसी भी नए सदस्य को किसी भी संगठनात्मक निकाय में शामिल नहीं किया जाता है।

कांग्रेस के एक नेता ने जानकारी दी कि 70 और 75 साल की उम्र से ऊपर के कई नेता पार्टी में कई स्तरों पर पदों पर काबिज हैं। सूत्रों ने कहा कि यह संभावना नहीं है कि उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा जाएगा। वहीं पार्टी में दिग्गज नेताओं की उम्र देखें तो कांग्रेस की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी 75 साल की हैं।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे 79, ओमन चांडी 78, मनमोहन सिंह और एके एंटनी जैसे सीडब्ल्यूसी सदस्य 80 से ऊपर हैं। वहीं अंबिका सोनी, हरीश रावत, पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, कमलनाथ की उम्र भी 70 साल से ऊपर है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 71 साल के हैं। वहीं भाजपा पहले ही संगठन में पदों पर रहने और चुनाव लड़ने के लिए 75 साल की उम्र सीमा निर्धारित कर चुकी है।

बता दें कि 2014 से पार्टी को मिल रही करारी हार के बीच इस तरह कांग्रेस का यह पहला चिंतन शिविर सत्र है। शिविर में 430 दिग्गज कांग्रेस नेता हिस्सा लेंगे। दरअसल 2014 के बाद से कांग्रेस को चुनाव दर चुनाव हार का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने मुखर होकर नेतृत्व में बदलाव करने की वकालत की थी। वहीं अब कांग्रेस के कई नेताओं का विचार है कि पार्टी खुद को युवा संगठन के रूप में रीब्रांड करे और अपने दृष्टिकोण पर मजबूती से काम करे।