कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के  दौरान हुए 2जी घोटाले ने खूब चर्चा बटोरी थी। अब कांग्रेस ने सत्ताधारी भाजपा पर भी ऐसा ही एक घोटाला करने का आरोप लगाया है। दरअसल कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकारी खजाने को 70,000 करोड़ की चपत लगी है। अपने इस दावे के पक्ष में कांग्रेस ने कैग की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है। उल्लेखनीय है कि कैग की एक रिपोर्ट बीते 8 जनवरी को संसद में पेश हुई थी। इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम के आवंटन में घोटाला हुआ है।

बता दें कि इस वितरण के तहत टेलीकॉम ऑपरेटर्स को मोबाइल सर्विसेस के लिए कम दूरी के स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाते हैं। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के स्पेक्ट्रम आवंटन नीलामी से करने के आदेश को नहीं माना और पहले आओ और पहले पाओ की नीति के तहत कुछ ‘चुनिंदा साथियों’ को स्पेक्ट्रम का आवंटन किया। हालांकि कैग ने अपनी रिपोर्ट में स्पेक्ट्रम पाने वाली किसी भी कंपनी के नाम का उल्लेख नहीं किया है, ना ही कैग ने स्पेक्ट्रम घोटाले से सरकारी खजाने को हुए नुकसान के आंकड़े पेश नहीं किए हैं। लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा का दावा है कि यह नुकसान करीब 69,381 करोड़ रुपए का हो सकता है।

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कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने साल 2015 में माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम का आवंटन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया, जब सरकार के पास आवंटन के लिए 101 आवेदन आए थे। कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन में ब्याज की समय सीमा भी 10 साल से बढ़ाकर 16 साल कर दी है, जिससे भी सरकारी खजाने को टेलीकॉम कंपनियों से मिलने वाले सरचार्ज आदि का नुकसान होगा। कांग्रेस का दावा है कि यदि सरचार्ज आदि के नुकसान को भी जोड़ दिया जाए तो यह घोटाला और भी बड़ा हो सकता है।