कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का इस्तीफा सार्वजनिक होने के बाद अब नए अध्यक्ष की खोज तेज हो गई है। पार्टी में राहुल के स्थान पर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए सुशील कुमार शिंदे, मल्लिकार्जुन खड़गे और मुकुल वासनिक जैसे दलित चेहरों के साथ ही अशोक गहलोत जैसे ओबीसी और आनंद शर्मा जैसे सर्वण नाम पर भी चर्चा चल रही है।

इसके अलावा युवा चेहरों के रूप में सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी सामने आ रहा है। इन सब के बीच पार्टी एक व्यवहार्य वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में जुटी है। कांग्रेस का कहना है कि पार्टी कार्यसमिति की तरफ से इस्तीफा स्वीकार किए जाने और नए अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया तक राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे। बताया जा रहा है कि अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सबसे वरिष्ठ सदस्य मोतीलाल वोरा अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।

पार्टी नेताओं का कहना है कि सबसे पहला कदम कार्यसमिति की बैठक होगी। राहुल गांधी को एक मानहानि के मामले में भिवंडी की अदालत में पेश होना है। कांग्रेस का संविधान कहता है कि किसी भी तरह की आपातकाल स्थिति में जैसे अध्यक्ष की मौत या इस्तीफा देने पर, नए अध्यक्ष के चुनाव तक सबसे वरिष्ठ महासचिव ही पार्टी के रोजमर्रा के दायित्वों का निर्वहन करेगा।

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने खुले पत्र में अपने मन की कुछ बातों के संकेत दे दिए थे। अपने चार पेज के पत्र में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया था कि पार्टी को कुछ कड़े फैसले करने होंगे। साल 2019 की हार के लिए कई लोगों को जिम्मेदारी लेनी होगी। सत्ता की ताकत की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी ताकत का त्याग करने को तैयार नहीं है।

पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि पार्टी एक प्रीसिडयम से संचालित हो सकती है जिसमें गांधी परिवार के सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हो सकते हैं। पार्टी का संचालन सीपीएम पोलित ब्यूरो की तरह सामूहिक रूप से हो सकता है। उनका कहना है कि कुछ युवा नेताओं को पार्टी का महासचिव नियुक्त किया जा सकता है।

दूसरा विकल्प है कि गांधी परिवार के किसी करीबी वरिष्ठ नेता को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाए और कुछ कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएं। तीसरा विकल्प चुनाव प्रक्रिया है, जिस पर पार्टी के अधिकतर नेता सहमत नहीं है। उनका मानना है कि मौजूदा स्थिति में इससे पार्टी में विभाजन हो सकता है।