जम्मू कश्मीर में गोमांस पर प्रतिबंध के मुद्दे ने सत्तारूढ़ गंठबंधन के घटकों में विभाजन पैदा कर दिया है। जहां पीडीपी ने कहा कि पाबंदी स्वीकार नहीं की जा सकती है वहीं भाजपा डेढ़ सौ साल पुरानी इस प्रतिबंधात्मक व्यवस्था को कड़ाई से लागू करने पर जोर दे रही है।

पीडीपी ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद गोमांस सेवन की इजाजत जारी रहेगी जबकि भाजपा ने कहा कि बिना किसी उकसावे के वृहत राष्ट्रहित में हिंदुओं की भावना का सम्मान किया जाना चाहिए।

पीडीपी नेता पीर मंसूर ने कहा, ‘‘कोई भी धार्मिक स्वतंत्रता दबा नहीं सकता। यदि कोई चीज किसी धर्म में हलाल है तो उसपर पाबंदी क्यों होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने भी अपने हाल के एक निर्णय में कहा है कि गोमांस प्रतिबंध लोगों के गले के नीचे नहीं उतारा जाना चाहिए। आप लोगों की धार्मिक मान्यता के साथ ऐसा नहीं कर सकते।’’

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के राजनीतिक सलाहकार मंसूर ने कहा कि भारत अपने लोकतंत्र के लिए दुनियाभर में जाना जाता है और लोगों को अपने धार्मिक विश्वास का उपदेश देने का हक है।
उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कोई पाबंदी नहीं है। अतएव यहां पाबंदी क्यों? लोगों को उनका धर्म जो खाने की इजाजत देता है, उन्हें उसे खाने का हक है…….हमारे मुख्यमंत्री (मुफ्ती मोहम्मद सईद) और पार्टी अध्यक्ष को यदि पसंद है और स्वास्थ्य उसकी इजाजत दे तो वे गोमांस खा सकते हैं। वे क्यों उसे नहीं खाएं जब उनके धर्म में उसकी इजाजत है। ’’

मंसूर ने कहा कि पीडीपी कुछ सिद्धांतों पर आधारित एक पार्टी है और वह उनसे कभी समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि पीडीपी ने न्यूनत साझा कार्यक्रम ‘एजेंडा फॉर एलायंस’ के आधार पर राज्य के शासन के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया और उसका मतलब यह नहीं कि दोनों सहयोगियों की विचारधाराओं का कोई विलय हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अपनी विचारधारा से कोई समझौता नहीं होगा।’’

दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष और विधानपरिषद के सदस्य रमेश अरोड़ा ने कहा कि उनकी पार्टी इस पाबंदी को कड़ाई से लागू करने की मांग से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम पाबंदी लागू करने के पक्ष में हैं और हम चाहते हैं कि उसे कड़ाई से लागू किया जाए। कुछ पीडीपी नेताओं के ये बयान उनके निजी विचार हैं न कि पार्टी के। लेकिन उन्हें ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान देने से बचाना चाहिए।’’

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मैं आपको बताऊं कि मैने कुरान पढ़ा है और धार्मिक विद्वानों से बातचीत की है। यह (गोमांस सेवन) मुसलमानों के लिए अनिवार्य नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (पीडीपी के सदस्यों को) अपनी भावना पर काबू पाना चाहिए एवं तर्कसंगत ढंग से बात करनी चाहिए। उन्हें देशभर में हिंदुओं की भावना को नुकसान नहीं पहुंचाने को सोचना चाहिए। उन्हें ऐसा कुछ कहने से बचना चाहिए जो अलगाववादियों एवं कट्टरपंथी प्रवृतियों को मजबूत बनाए तथा समाज में दूरी पैदा करे।’’

उन्होंने कहा कि यदि पीडीपी को इस मुद्दे पर भाजपा से कोई मतभेद है तो उसे समन्यवय समिति की बैठक में उसे उठाना चाहिए।