यमुना में झाग कम करने के लिए लंबे समय तक केमिकल्स के छिड़काव को लेकर चिंता जताई है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों को पत्र लिखकर झागनाशकों के लंबे समय तक छिड़काव से उत्पन्न पारिस्थितिक जोखिमों को उजागर किया है और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

इस सप्ताह की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और दिल्ली स्थित पर्यावरण समूह अर्थ वॉरियर को भेजे गए पत्र में, डीपीसीसी से आग्रह किया गया है कि वह दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के खिलाफ कार्रवाई करे। पत्र में कहा गया है कि DPCC ने अक्टूबर 2025 के मध्य से दो महीने से अधिक समय तक ओखला बैराज के निचले हिस्से में सिलिकॉन-बेस्ड डिफोमर का लंबे समय तक, अत्यधिक और अनियमित छिड़काव किया है।

यमुना की सतह पर बहुत कम झाग दिखाई देने पर भी केमिकल का छिड़काव?

एनवायरमेंटल ग्रुप ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले तीन सालों (2022 से 2024 के बीच) में झाग कम करने वाले रसायनों का उपयोग छठ पूजा के दौरान लगभग 7-10 दिनों तक ही सीमित था। उन्होंने आरोप लगाया कि 2025 में छिड़काव अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हुआ और नवंबर के बाद तक जारी रहा, जिसमें उन दिनों में भी छिड़काव किया गया जब नदी की सतह पर बहुत कम या बिल्कुल भी झाग दिखाई नहीं दे रहा था। डीपीसीसी को दी गई अपनी शिकायत में, अर्थ वॉरियर ने दावा किया कि पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी, वैज्ञानिक जोखिम मूल्यांकन या सार्वजनिक रूप से घोषित प्रोटोकॉल के बिना बड़ी मात्रा में डिफोमर (Defoamer) का छिड़काव किया गया था।

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सिलिकॉन-बेस्ड डिफोमर के नुकसान

पर्यावरण समूह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि पॉलीडाइमिथाइलसिलोक्सेन (PDMS), जो कई सिलिकॉन-बेस्ड डिफोमर का एक प्रमुख घटक है, उसके अत्यधिक उपयोग से हाइड्रोफोबिक सतह फिल्में बन सकती हैं। यह सतहें ऑक्सीजन के स्थानांतरण में बाधा डालती हैं और हाइपोक्सिया का कारण बनती हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इसके अलावा इन सतहों से मछली और तटीय जीवों के लिए भी जहरीली होती हैं।

पत्र में कहा गया कि यह नदी के मौजूदा प्रदूषण को और बढ़ा सकता है। समूह ने डीपीसीसी से डीजेबी के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने और प्रदूषक भुगतान सिद्धांत के तहत पर्यावरणीय मुआवजे को लागू करने का आग्रह किया है, जिसमें प्राप्त धनराशि का उपयोग यमुना के सुधार और पुनर्स्थापन के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, पत्र में केमिकल के छिड़काव के स्वतंत्र आकलन की भी मांग की गयी है, जिसमें छिड़काव से पहले और बाद में जल गुणवत्ता की निगरानी, ​​विश्लेषण और जलीय जीवन पर इसके प्रभावों का मूल्यांकन शामिल है।

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