बिहार में 20 नवंबर को नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। पर इससे पहले वैशाली के लालगंज में सांप्रदायिक तनाव फैल गया है। हालत इतनी गंभीर है कि गुरुवार को कुमार ने झारखंड जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया। बुधवार को लालगंज में पुलिस फायरिंग में एक लड़के की मौत हो गई थी। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने एक सब इंस्पेक्ट की जान ले ली थी। बुधवार की घटना मंगलवार को हुए एक सड़क हादसे की वजह से हुई। मंगलवार को एक पिक-अप वैन से टकराने के चलते 60 साल के बुजुर्ग और आठ महीने की उनकी पोती की मौत हो गई थी। वैन एक मुस्लिम चला रहा था। मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया।
लालगंज बाजार में गुरुवार को भी भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। इस इलाके में मुसलमानों की बस्ती अगरपुर भी है। बस्ती की आबादी करीब 700 है। यह बस्ती हिंदू बहुल इलाके के बीच में है। वैन का ड्राइवर 19 साल का रिजवान इसी बस्ती का है। घटना के बाद उसका पूरा परिवार और चार रिश्तेदार डर के मारे कहीं चले गए हैं। बस्ती के बाकी लोगों ने घर तो नहीं छोड़ा है। पर वे सहमे हुए हैं। घर के अंदर रहते हुए बाहर के हालात के बारे में पता लगाते रह रहे हैं। हर अहम ठिकाने पर पुलिस की तैनाती है। हिंदू-मुस्लिमों की बस्ती को बांटने वाली जगह पर भी भारी संख्या में जवान तैनात किए गए हैं।

लालगंज पुलिस मामले को सांप्रदायिक नहीं बता रही है। लेकिन, कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि पिक अप वैन के मालिक नन्हे खान के नेताओं से संबंध हैं। उनका कहना है कि इलाके में तनाव तभी से है जब लोक जनशक्ति पार्टी के राजकुमार साह ने जेडीयू की अन्नू शुक्ला से लालगंज सीट छीन ली। अन्नू विजय उर्फ मुन्ना शुक्ला की पत्नी हैं। यहां के एक रिहाइशी मनोज कुमार यादव ने बताया, ‘दो गुटों की लड़ाई के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी और तभी इसके सांप्रदायिक रंग लेने की धमकी दे दी गई थी।’ यादव का कहना है कि नन्हे खान ने महागठबंधन की ओर से खुल कर चुनाव में भागीदारी निभाई थी।
मंगलवार की घटना के बाद कुछ हिंदुओं ने नन्हे, रिजवान और उनके तीन रिश्तेदारों के घरों पर धावा बोल दिया। बुधवार सुबह यह अफवाह फैलने के बाद कि पुलिस ने रिजवान को छोड़ दिया, मामला और गंभीर हो गया। भीड़ ने पांचों के घरों पर फिर धावा बोला। नन्हे के घर के बाहर खड़ी कार और बाइक को आग लगा दी। रिजवान के घर का दरवाजा भी तोड़ने की कोशिश की। लोग रिजवान की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। उन्हें काबू में करने के लिए पुलिस ने गोली चलाई। इसमें विकास कुमार (17) घायल हुआ और बाद में पटना के अस्पताल में उसकी मौत हो गई। रिजवान को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
हंगामा कर रही भीड़ पर काबू पाने के लिए बेलसर चौकी के इनचार्ज सब इंस्पेक्टर अजित कुमार को बुलाया गया था। वह एक घर में छिपने की कोशिश कर रहे थे कि भीड़ ने उन्हें दबोच लिया। स्थानीय नागरिक रमेश कुमार के अनुसार, ‘पुलिसवाला भीड़ से बच कर जा रहा था। लेकिन जब उसने लोगों को हिंसा करते देखा तो वह लौटने लगा। तो उसे दूसरे समूह के लोगों ने धर दबोचा और लाठियों व ईंटों से पीट-पीट कर मार डाला।’ पुलिस का कहना है कि इस मामले में दोनों पक्ष के राजनीतिक हित साधने वाले लोगों का हाथ हो सकता है।