लाखों- करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए टोल रोड पर आम जनता को उपलब्ध कराए जाने वाली सेवाओं से आम जनता खुश नहीं है। राजमार्ग के रखरखाव ओर सेवाओं को लेकर आम जनता में कराए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।सर्वेक्षण में इन राजमार्गों का इस्तेमाल करने वाले 597 लोगों ने सरकारी सेवाओं को लेकर सवाल खड़ा किया है। राजमार्ग के ये हालात भारत के नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक की रपट (कैग) में सामने आए हैं। हाल ही में यह रपट संसद के पटल पर पेश की गई थी।
तय प्रावधानों के तहत इन राजमार्ग पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और संबंधित एजंसियों को इन मार्ग के किनारे ट्रक लेन, विश्राम क्षेत्र, रेस्तरां, लाइट, खानपान से संबंधित दुकानें, शौचालय, हरित क्षेत्र समेत अन्य सेवाओं को विकसित करना होता है। रपट में बताया गया है कि कैग ने चयनित 41 टोल प्लाजा के 37 राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेवाओं की समीक्षा की है।
यह पायलट प्रोजेक्ट दक्षिण भारत से जुड़े राज्यों में किया गया है। इस जांच के लिए कैग व अन्य स्वतंत्र एजंसियों के माध्यम से इन मार्ग का उपयोग करने वाले लोगों से एक प्रश्नावली भरवाई गई है। इस प्रश्नावली में कुल 597 उपयोगकर्ताओं ने हिस्सा लिया। रपट में 42.36 फीसद सड़क उपयोगकर्ताओं ने कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर दुर्घटना संभावित क्षेत्र (ब्लैक स्पाट) मौजूद हैं। जबकि 38.09 फीसद उपयोगकर्ताओं ने बताया कि राजमार्ग पर मध्य पट्टिका (डिवाइडर) और राजमार्ग के किनारों पर पौधों और हरियाली को अच्छी तरह से सुरक्षित नहीं किया गया है।
उपयोगकर्ताओं में 37.96 फीसद ऐसे भी उपयोगकर्ता शामिल थे, जिन्हें यह पता ही नहीं था कि इस राजमार्ग पर इन खामियों की शिकायत के लिए एक शिकायत पुस्तिका होती है। इन उपयोगकर्ताओं में 37.93 फीसद मार्ग पर पर्याप्त पानी उपलब्धता से असंतुष्ठ थे। कैग ने राजमार्ग के हालात सुधारने के लिए केंद्र सरकार को उपयोगकर्ताओं से मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने की सिफारिश की है।
रिपोर्ट में जिन राष्ट्रीय राजमार्गों का जिक्र किया गया है, उनमें आम जनता से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण जमीन की अनुपलब्धता को बताया गया है। 41 टोल प्लाजा में से पांच टोल प्लाजा ऐसे थे, जहां पर शौचालयों का निर्माण नहीं किया गया था। इसके अतिरिक्त 13 टोल प्लाजा में केवल एक ही तरफ शौचालय बना गए थे, जो कि आम जनता के लिए परेशानी का कारण था।
इसके अतिरिक्त कुछ टोल पर ऐसे भी हालात पाए गए हैं, जहां संबंधित एंजसियों ने शौचालयों का निर्माण कर दिया था, लेकिन वे रिपोर्ट तैयार होने तक चालू स्थिति में नहीं थे। इन मामलों में जब कैग ने एनएचएआइ से जवाब मांगा था तो 14 टोल प्लाजा के मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया।