समान नागरिक संहिता का मुसलिम संगठनों की ओर से पुरजोर विरोध किए जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि इसे लागू करना असंभव होगा जबकि भाजपा ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मकसद एक प्रगतिशील समाज की दिशा में बढ़ना है।जद (एकी) ने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कई राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले धु्रवीकरण का प्रयास कर रही है। आॅल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआइएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि समान नागरिकसंहिता लागू करने से भारत की विविधता और बहुलता खत्म हो जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया किसरकार का मुख्य एजंडा समाज को बांटना है। पूर्व कानून मंत्री व कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां कई समुदाय और समूहों के अपने पर्सनल लॉ हैं। ऐसे में समान आचार संहिता को लागू कर पाना असंभव है। किसी को इसे हिंदू बनाम मुसलिम के मुद्दे के तौर पर नहीं लेना चाहिए। देश में 200-300 पर्सनल लॉ हैं।
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भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि विधि आयोग इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों की राय ले रहा है और इसके आधार पर वह एक राय बनाएगा और सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला पर्सनल लॉ को करना है कि वे संबंधित पक्ष बने रहना चाहते हैं या फिर से एक अलग पहचान बनना चाहते हैं। अगर पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों के पास गलत सूचना है तो मैं इस बारे में बहुत ज्यादा नहीं कह सकता। सिंह ने तुर्की, ईरान और इंडोनेशिया जैसे कई देशों का हवाला देते हुए कहा कि इन देशों ने लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए कानून में बदलाव किए हैं। उन्होंने कहा कि यह एक प्रगतिशील समाज बनाने की दिशा में बढ़ाया गया कदम है।
जद (एकी) सांसद अली अनवर ने कहा कि यह इस तरह की बहस का समय नहीं है। वे समाज का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि आखिर कितने समय तक मुसलमान राष्ट्रीय मुख्यधारा से अलग रहेंगे। पर्सनल लॉ बोर्ड को समान आचार संहिता का समर्थन चाहिए क्योंकि इससे समुदाय खासकर महिलाओं को तकलीफ से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।

