Colonel Pushpinder Singh Batth Attack: भारतीय आर्मी में कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे अंगद बाठ के साथ पटियाला में हुई मारपीट का मामला पूरे पंजाब और आर्मी गलियारों के अंदर चर्चा में है। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद 1992 में आर्मी के ही एक लेफ्टिनेंट कर्नल पर हुए हमले की घटना पर भी चर्चा होने लगी है। बताना होगा कि कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे के साथ 13 मार्च की रात को पटियाला में पुलिसकर्मियों ने बेसबॉल बैट और धारदार हथियारों से हमला किया था। इस घटना का सीसीटीवी वीडियो काफी वायरल हुआ था। पंजाब पुलिस ने मामले में आरोपी 12 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।

1992 का जो मामला है उसमें तो आर्मी और पंजाब सरकार ने तुरंत एक्शन लिया था लेकिन कर्नल और उनके बेटे के साथ हुई मारपीट के मामले में दर्ज FIR में पुलिसकर्मियों का नाम तक नहीं है।

आर्मी की वेस्टर्न कमांड के हेडक्वार्टर ने इस बारे में बयान जारी किया है। हालांकि आर्मी के किसी भी सीनियर अफसर ने सार्वजनिक तौर पर इस घटना की निंदा नहीं की लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में वेस्टर्न कमांड के आर्मी अफसरों ने संकेत दिया है कि सेना की ओर से इस मामले में सख्त स्टैंड लिया है।

अफसरों के मुताबिक, आर्मी की ओर से पंजाब पुलिस से कहा गया है कि वह कर्नल और उनके बेटे पर हमला करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

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1992 वाली घटना में क्या हुआ था?

अब बात करते हैं कि 1992 वाली घटना में क्या हुआ था? इस घटना में चंडीगढ़ के तत्कालीन एसएसपी सुमेध सिंह सैनी ने आर्मी के लेफ्टिनेंट कर्नल रवि वत्स पर हमला कर दिया था। इस घटना की जांच संयुक्त रूप से ब्रिगेडियर अशोक चाकी और डीआईजी एनएस औलख ने की थी।

कैसे हुई थी घटना ?

लेफ्टिनेंट कर्नल रवि वत्स लेह में अपनी पोस्टिंग से छुट्टी पर थे और चंडीगढ़ के सेक्टर 7 में अपने आवास पर थे। एक दिन जब उन्होंने गोली चलने की आवाज सुनी तो वे घर के बाहर निकल आए। शुरू में ऐसा लगा कि एसएसपी सैनी के बॉडीगार्ड, हेड कांस्टेबल राज कुमार पर कोई आतंकी हमला हुआ है। लेफ्टिनेंट कर्नल रवि वत्स उस दौरान सादे कपड़ों में थे और मौके पर पहुंच गए।

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उस समय की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सैनी ने भीड़ से हटने के लिए कहा लेकिन लेफ्टिनेंट कर्नल रवि वत्स ने ऐसा नहीं किया। इस पर सैनी और उनकी टीम ने वत्स पर हमला कर दिया। पुलिस का कहना था कि लेफ्टिनेंट कर्नल सादे कपड़ों में थे और उन्होंने अपने बारे में नहीं बताया। लेकिन बाद में पुलिस स्टेशन में वत्स ने अपने बारे में बताया तो चंडीगढ़ पुलिस ने उन्हें सम्मान दिया। लेकिन फिर भी वत्स को पुलिस हिरासत में रातभर थाने में रखा गया।

आर्मी ने किया था विरोध

इस घटना को लेकर आर्मी ने जबरदस्त विरोध जताया था। आर्मी ने कहा था कि पुलिस ने सत्ता का दुरुपयोग किया है और इससे पहले भी पंजाब पुलिस कई बार ऐसा कर चुकी है। उस समय वेस्टर्न आर्मी कमांडर के पद पर बिपिन चंद्र जोशी थे, वह बाद में आर्मी चीफ भी बने। जोशी ने इस मामले में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और गवर्नर सुरेंद्र नाथ से बात की। जब दबाव बढ़ गया तो गवर्नर ने एक डीआईजी और एक ब्रिगेडियर की टीम को संयुक्त जांच का आदेश दिया। जांच में एसएसपी सैनी को गलत आचरण का दोषी पाया गया।

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लेफ्टिनेंट कर्नल रवि वत्स पर हमले के बाद सैनी को चंडीगढ़ एसएसपी के पद से हटा दिया गया और उनके मूल कैडर पंजाब में वापस भेज दिया गया। उस घटना के दौरान आर्मी और पुलिस के बीच रिश्ते काफी खराब हो गए थे और वैसे भी पंजाब में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान पुलिस और आर्मी के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। 1992 के बाद 2025 में हुई इस घटना के बाद एक बार फिर से पुलिस कर्मियों के काम करने के तरीके पर गंभीर सवाल जरूर खड़े हुए हैं।

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