Collegium System: भारत में न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम (Collegium) पर छिड़ी चर्चा के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यूयू ललित ने इस प्रक्रिया को संतुलित और सही बताया है। दरअसल, कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम को अपारदर्शी बताया था।
इन सबके बीच पूर्व CJI यूयू ललित ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम ही सही तरीका है। हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम पर सवाल उठाए थे। न्यायिक नियुक्तियों में सुधार की जरूरत जोर देते हुए किरेन रिजिजू ने कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली की प्रक्रिया बहुत अपारदर्शी है और न्यायपालिका में अंदर राजनीति होती है।
कॉलेजियम काम करने का संतुलित तरीका: पूर्व CJI ने कानून मंत्री को लेकर कहा था, ‘यह उनके निजी विचार हैं। पर कॉलेजियम काम करने का एकदम सही और संतुलित तरीका है। जस्टिस ललित ने कहा कि जजों की नियुक्ति को कॉलेजियम सरकार समेत कई स्तरों की समीक्षा के बाद ही मंजूरी देता है। उन्होंने कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में मामलों के विशाल बैकलॉग को दूर करने के लिए यह नियुक्तियां महत्वपूर्ण है।
यूयू ललित ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में सरकार और कॉलेजियम के बीच संवाद होना चाहिए। यह जितनी जल्दी हो उतना ही अच्छा क्योंकि आज हम 34 की अप्रूव्ड स्ट्रेंथ पर 27 हैं। उन्होंने कहा, “नियुक्ति में देरी एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है और वह कह सकता है कि वो इसका हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्तियों में देरी पर जताई थी आपत्ति: पिछले महीने केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था कि देश के लोग कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं। संविधान की भावना के अनुसार, न्यायाधीशों को नियुक्त करना सरकार का काम है। वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की तरफ से न्यायाधीशों की नियुक्तियों में देरी पर आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने इस देरी को अस्वीकार्य बताया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इसमें कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नाम भी लेते हुए कहा था कि उन्हें पेंडिंग रखना स्वीकार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पहले स्पष्ट किया था कि एक बार जब सरकार ने अपनी आपत्ति व्यक्त कर दी है और कॉलेजियम द्वारा इसे निपटा दिया गया है, तो नियुक्तियों को मंजूरी दी जानी चाहिए।