कोयला घोटाला मामले में अदालत की ओर से आरोपी के तौर पर समन किये गए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए सोनिया गांधी सहित शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व के आज सड़क पर उतरने के साथ पार्टी अध्यक्ष ने इसे ‘चौंका देने’ वाला बताया।

आज सुबह कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया गांधी सहित सारे नेता एकत्र हुए। इसके बाद सोनिया ने तकरीबन आधे किलोमीटर दूर सिंह के आवास की तरफ मार्च की अगुवाई की। इस दौरान सिंह की कैबिनेट में सहयोगी रहे पी चिदंबरम, आनंद शर्मा, अंबिका सोनी, वीरप्पा मोइली और के रहमान खान मौजूद थे।

कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर भी निशाना साधते हुए ऐसे वक्त ‘जानबूझकर खामोशी’ बरतने का आरोप लगाया जब सीबीआई ने अदालत से कहा है कि सिंह के पास 2005 में जब कोयला का भी प्रभार था उस दौरान ओडिशा में आदित्य बिड़ला ग्रुप की हिंडाल्को कंपनी को तालाबीरा कोयला ब्लॉक-2 के आवंटन में कोई अपराध नहीं हुआ।

गांधी ने कहा कि उनके पास जो भी कानूनी तरीके हैं उसके तहत वे कानूनी लड़ाई लड़ेंगी।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह को सम्मन करने वाली खबर सुनकर मैं व्यथित हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री केवल अपने देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में ईमानदारी और शुचिता के लिए जाने जाते हैं। हम यहां अपना पूरा समर्थन देने और अपनी एकजुटता दिखाने के लिए आए हैं।’’

सिंह के आवास पर उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनके साथ है। हम अपने स्तर से सभी तरह से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। हम आश्वस्त हैं, हमें पक्का यकीन है कि वह बेगुनाह साबित होंगे।’’

अपनी पत्नी के साथ सिंह ने अपने घर में नेताओं का स्वागत किया। सभी नेता गर्मजोशी से उनसे मिले।
सिंह ने कल भरोसा जताया था कि मुकदमे में वह अपनी बेगुनाही साबित करेंगे।

अदालत के आदेश के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था, ‘‘बेशक, मैं दुखी हूं लेकिन यह जिंदगी का हिस्सा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा कहा है मैं कानूनी जांच के लिए तैयार हूं…मुझे भरोसा है कि सत्य सामने आएगा और मुझे सभी तथ्यों के साथ अपने मामले को सामने रखने का मौका मिलेगा।’’

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एक विशेष अदालत ने ओडिशा में 2005 में तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े कोयला घोटाला के एक मामले में सिंह के साथ ही उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारख और तीन अन्य को आरोपी के तौर पर सम्मन जारी किए हैं और आठ अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है।

सिंह ने इन सवालों का जवाब नहीं दिया कि उनके आवास की ओर पार्टी नेताओं के राजनीतिक मार्च से मामले में उन्हें कैसे मदद मिलेगी।

गांधी ने भी उन सवालों का जवाब देने से परहेज किया कि आखिर मार्च से मामले में सिंह को कैसे सहायता मिलेगी।
संवाददाताओं से बात करते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के खिलाफ जारी सम्मन कुछ समय के बाद वापस ले लिया जाएगा।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘भाजपा की त्रासदीपूर्ण चुप्पी की दृष्टि से यह बेहद कठिन है। सीबीआई सरकार की कार्यपालक इकाई है। सीबीआई ने कहा कि कोई बदलाव नहीं हुआ है, आपराधिक कार्रवाई करने का कोई आधार नहीं है। लेकिन, सरकार को अपनी बात रखनी चाहिए और कहना चाहिए कि हम सीबीआई रिपोर्ट की पुष्टि करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार सीबीआई की आजादी में यकीन करती है और अगर सीबीआई पहले ही कह चुकी है कि कोई आपराधिक मामला नहीं तो सरकार को यह जरूर कहना चाहिए कि वह सीबीआई रिपोर्ट के साथ है। आखिर सरकार ऐसा करने के प्रति अनिच्छुक क्यों है।’’

आनंद शर्मा ने भरोसा जताया कि वास्तविकता सामने आ जाएगी क्योंकि सिंह संदेह से परे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री की पारदर्शिता, निष्पक्षता और ईमानदारी सवालों से परे है। भारत और दुनिया भर में उनका सम्मान है। हमें पूरा भरोसा है कि उनके सामने चाहे जो भी तथ्य रखा गया हो, उनका फैसला पारदर्शी, सही है और सच्चाई उजागर होगा।’’

मोइली ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ सम्मन पूरी तरह से नाइंसाफी है।

मोइली ने कहा, ‘‘हम उनके प्रति एकजुटता दिखाने के लिए 100 से ज्यादा सांसदों और सीडब्लूसी के अन्य सदस्यों के साथ आए हैं। उनकी तरह का व्यक्ति, जिनका सार्वजनिक जिंदगी में काफी मान हो, अगर उन्हें अदालत के सामने खड़ा होना पड़े तो यह इंसाफ नहीं होगा।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने सिंह को आश्वस्त किया है कि पूरी पार्टी उनके साथ है और उन्हें अकेला नहीं महसूस करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हम कानूनी तरीके से इससे लड़ेंगे। देश की न्यायपालिका में हमारी पूरी श्रद्धा है।’’

पूर्व प्रधानमंत्री के साथ एकजुटता दिखाने के लिए राज्यसभा के उपसभापति पी जे कुरियन पार्टी मुख्यालय पहुंचे लेकिन मार्च में हिस्सा नहीं लिया।

पिछले साल मई में लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस के आला नेता संभवत: पहली बार इस तरह सड़कों पर उतरे हैं। छुट्टी पर चल रहे राहुल गांधी मौजूद नहीं थे।