पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने कोयला खदान आबंटन मामले में आरोपी के रूप में तलब करने के विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को याचिका दायर की। विशेष अदालत ने 2005 में ओड़िशा में तालाबीरा-दो कोयला खदान का आबंटन आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडालको को करने से संबंधित मामले में उन्हें तलब किया है।

हिंडालको के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख ने भी विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की हैं। इन दोनों को भी इस मामले में आरोपी के रूप में तलब किया गया है।

मनमोहन सिंह ने सीबीआइ की विशेष अदालत के जज भरत पराशर द्वारा आठ अप्रैल को आरोपी के रूप में पेशी के लिए उनके नाम जारी समन निरस्त करने का अनुरोध किया है। पूर्व प्रधानमंत्री का कहना है कि विशेष जज ने बिना सोच विचार के ही 11 मार्च को यह आदेश दिया है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के नेतृत्व में वकीलों के दल ने मनमोहन सिंह की याचिका को अंतिम रूप दिया है। जिसका एक दो दिन में ही जल्द सुनवाई के लिए उल्लेख किए जाने की संभावना है।

शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने से जुड़े वकीलों में से एक वकील ने कहा कि याचिका में समन जारी करने के आदेश को कई आधार पर चुनौती दी गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि रिकार्ड में ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह पता चलता हो कि सिंह ने ऐसा कोई काम किया है जो अपराध हो। याचिका के अनुसार पूर्व प्रधान मंत्री ने तालाबीरा-दो कोयला खदान हिंडालको को आबंटित करने के लिए ओडिशा सरकार के प्रतिवेदन पर बतौर सक्षम प्राधिकारी फैसला किया था।

इस वकील का कहना है कि फैसला लेने में हो सकता है कि गलती हुई हो लेकिन ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह पता चलता हो कि पद का दुरूपयोग किया गया है और वैसे भी सरकार में फैसला लेना तो कोई अपराध नहीं है। विशेष अदालत के जज ने 11 मार्च को अपने आदेश में कहा था-मैं छह आरोपियों हिंडालको, शुभेंदु अमिताभ, डी भट्टाचार्य, कुमार मंगलम बिड़ला, पीसी पारख और डा मनमोहन सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और धारा 409 व भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 13 (1) (सी) और 13 (1) (डी) (3) के तहत अपराधों का संज्ञान ले रहा हूं।

भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 13 (1) (सी) लोक सेवक को सौंपी गई संपत्ति का बेईमानी से अमानत में खयानत करना या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने देने से संबंधित है। इसी तरह धारा 13 (1)(डी)(3)लोक सेवक द्वारा बगैर किसी जनहित के ही किसी व्यक्ति के लिए आर्थिक लाभ प्राप्त करने से संबधित है। हिंडालको और उसके अधिकारियों शुभेंदु अमिताभ और डी भट्टाचार्य ने भी विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देते हुई याचिकाएं दायर की हैं।