गोवा के पूर्व कला और संस्कृति मंत्री गोविंद गौड़े ने रविवार को साफ किया कि वे न तो विधायक पद से इस्तीफा देंगे और न ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़ेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी पूछा कि क्या यह गलत है कि कोई मंत्री किसी विभाग से जवाबदेही मांगता है। मंत्रिमंडल से निकाले जाने के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए गौड़े ने गोवा के मार्सेल में प्रियोल प्रगति मंच के बैनर तले आयोजित एक मीटिंग में कहा कि 18 जून की शाम को उन्हें मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का फोन आया था, जिसमें उनसे इस्तीफा देने को कहा गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गौड़े ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि (बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष) जेपी नड्डा का दबाव था । मैंने साफ कर दिया कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा, क्योंकि मेरी लड़ाई हमेशा लोगों के लिए रही है। बाद में, मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि यह उनका अपना फैसला था।’ उन्होंने पूछा, ‘क्या यह गलत है कि कोई मंत्री किसी विभाग से जवाबदेही की मांग करता है।’
18 जून को गौड़े को मंत्रिमंडल से बाहर किया
आदिवासी नेता गौड़े को 18 जून को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने लगभग तीन हफ्ते पहले आदिवासी कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। यह विभाग मुख्यमंत्री सावंत के पास में था। यह पूरा का पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब 25 मई को प्रेरणा दिवस के अवसर पर गौड़े ने आदिवासी कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर कटाक्ष किया। उस दिन अपने भाषण में गौड़े ने कहा था, ‘टैक्सपेयर्स के पैसे का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी कल्याण विभाग को आवंटित किया जाता है। अगर यह विभाग इस कार्यक्रम को कुशलतापूर्वक आयोजित करने में असमर्थ है, तो यह प्रशासन पर नियंत्रण की कमी को दिखाता है। मेरे विचार से, आज प्रशासन कमजोर हो गया है। ठेकेदारों की फाइलें चुपके से श्रम शक्ति भवन की इमारत में संभाली जाती हैं। उनसे कुछ लिया जाता है, फिर उनसे अपनी फाइलें जमा करने के लिए कहा जाता है।’
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आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ता रहूंगा – बीजेपी विधायक
रविवार को एक घंटे के भाषण में गौडे ने कहा कि वह बीजेपी नहीं छोड़ेंगे और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी से इस्तीफा देने के लिए बीजेपी में शामिल नहीं हुआ हूं।’ विधायक ने यह भी दावा किया कि 2022 में बीजेपी में शामिल होने के बाद से पिछले साढ़े तीन साल में उन्हें दिल्ली में पार्टी आलाकमान से मिलने की इजाजत नहीं दी गई। गौडे ने कहा कि वह दिल्ली में किसी से मिले बिना पार्टी में शामिल हो गए क्योंकि उन्हें राज्य नेतृत्व पर पूरा भरोसा था। उन्होंने कहा, ‘जीतने और मंत्री बनने के बाद, मैंने केंद्रीय पार्टी नेतृत्व से मिलवाने का अनुरोध किया। बैठक की व्यवस्था कभी नहीं की गई। अब मुझे समझ में आने लगा है कि ऐसा क्यों किया गया।’
पीएम मोदी और जेपी नड्डा को जानकारी दी
गौड़े ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को पत्र लिखकर उन्हें राज्य में हो रही घटनाओं के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस भाषण को हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में भी लिखूंगा और दिल्ली में नेताओं को भेजूंगा ताकि कोई गलत कहानी न गढ़ सके।’ पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर परिकर के जीवन पर लिखी गई एक किताब का हवाला देते हुए गौड़े ने कहा कि जब पर्रिकर बीमार थे और 2019 में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो उन्होंने गौड़े को फोन करके बताया था कि वह एमजीपी नेता सुदीन धवलीकर को कैबिनेट का नेतृत्व करने के लिए कहने पर विचार कर रहे हैं। गौड़े ने कहा कि उन्होंने इस कदम का विरोध किया और सावंत का नाम सुझाया। BJP शासित राज्य में CM के विभाग पर लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप पढ़ें पूरी खबर…