तकरार और मान मनौव्वल के बाद भाजपा और शिवसेना के एक बार फिर हाथ मिलाने के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को घोषणा की कि ‘जनादेश को देखते हुए’ शिवसेना शुक्रवार को उनकी सरकार में शामिल होगी और 12 मंत्री बनाए जाएंगे। लेकिन उपमुख्यमंत्री का पद नहीं होगा। फडणवीस ने शिवसेना को दिए जाने वाले विभागों के बारे में नहीं बताया। माना जा रहा है कि शिवसेना की नजर गृह विभाग पर है जिसका प्रभार मुख्यमंत्री के पास है और इसके अलावा पार्टी उपमुख्यमंत्री के पद की मांग कर रही है।
विधानसभा चुनावों के पहले अपना 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ने के 70 दिन बाद मुख्यमंत्री ने शिवसेना नेताओं के साथ एक साझा पत्रकार सम्मेलन में कहा-यह महाराष्ट्र के लोगों की आकांक्षा है कि भाजपा और शिवसेना को सरकार का हिस्सा होना चाहिए। शिवसेना के पांच कैबिनेट रैंक सहित 12 मंत्री होंगे।
उपमुख्यमंत्री के पद की बात से उन्होंने इनकार किया। फडणवीस ने कहा कि आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में फिलहाल, शिवसेना के दस मंत्री शपथ लेंगे। भाजपा के आठ से दस मंत्री भी शपथ लेंगे। दोनों पार्टियों के बीच कुछ दिनों तक चली बातचीत के बाद यह घोषणा की गई, जहां विभागों को लेकर दोनों के बीच जमकर सौदेबाजी हुई। विधानभवन परिसर में शाम में चार बजे शपथ ग्रहण होगा। फिलहाल, मुख्यमंत्री सहित फडणवीस मंत्रिमंडल की संख्या दस है। इसमें आठ कैबिनेट रैंक के हैं।
फडणवीस ने कहा-लोगों ने कांग्रेस और राकांपा के खिलाफ वोट किया। लोग चाहते हैं कि भाजपा और शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाएं। कुछ मुद्दों पर हम फैसला नहीं ले पाए थे। इसलिए, भाजपा ने सरकार बनाई। भाजपा और शिवसेना के कार्यकर्ता चाहते थे कि सरकार में दोनों पार्टियां हों। यहां तक कि दोनों दलों के विधायक भी चाहते थे कि हम सरकार में साथ रहे। मैंने उद्धवजी से बातचीत की कि शिवसेना को सरकार में शामिल होना चाहिए और उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उनसे बात की और फिर हम सबने प्रक्रियाओं पर काम किया।
फडणवीस ने कहा-हम एक समन्वय समिति बनाएंगे और जिला परिषद और निगम चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। हम दोनों अलग पार्टियां हैं और विभिन्न मुद्दों पर हमारा अपना दृष्टिकोण है। लोगों ने जो आदेश दिया उसे ध्यान में रखते हुए हम सरकार में फैसला करेंगे। हम जनादेश का सम्मान करते हैं। हम 25 साल साथ रहे और इस सरकार में और बाद में भी हम साथ रहेंगे। पच्चीस साल तक हमने बातचीत के जरिए मुद्दे सुलझाए और अब भी हम ऐसा ही करेंगे। हम सरकार में गठबंधन के अन्य भागीदारों को शामिल करने पर फैसला करेंगे।
फडणवीस के साथ मौजूद, शिवसेना के वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई ने कहा कि दोनों दलों ने महाराष्ट्र को एक मजबूत सरकार प्रदान करने का फैसला किया है। देसाई ने कहा कि हमारी कोशिश सुशासन देने की होगी। हम आश्वस्त हैं कि हम महाराष्ट्र के जनादेश का सम्मान करेंगे।
सीट बंटवारे पर गतिरोध के बीच 15 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए परचा दाखिल करने के ठीक दो दिन पहले 25 सितंबर को 25 साल पुराना भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया था। फडणवीस ने उस समय कहा था कि हमने शिवसेना को संबंध तोड़ने के अपने फैसले से अवगत करा दिया है। बड़े भारी मन से यह फैसला किया गया। 288 सदस्यीय सदन में भाजपा के 121 विधायक हैं। 31 अक्तूबर को शपथ लेने वाली राज्य सरकार को राकांपा ने बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी। राकांपा के 41 विधायक हैं।
नाराज शिवसेना विपक्ष में बैठ गई और उसके नेता एकनाथ शिंदे को विपक्ष के नेता का दर्जा दिया गया। लेकिन, भाजपा में राकांपा प्रमुख शरद पवार को लेकर कुछ चिंताएं थीं और शिवसेना के साथ तालमेल की कोशिश शुरू हुई, जिसके 63 विधायक हैं। बहरहाल, अब शिवसेना के सरकार में शामिल होने के साथ फडणवीस आठ दिसंबर से नागपुर में शुरू होने जा रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान राहत की सांस ले सकेंगे।
दूसरी ओर यह भी तय है कि राज्य विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में विपक्ष का कोई नेता नहीं होगा। यह अपनेआप में अनोखी स्थिति होगी क्योंकि 34 दिन पुरानी फडणवीस सरकार जब आठ दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में जाएगी तो विपक्ष के नेता की सीट खाली होगी। भाजपा सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद विपक्ष के नेता पद पर नामित किए गए शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को भाजपा मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। विपक्ष के नेता के रूप में उनका कार्यकाल विधानसभा के इतिहास में सबसे छोटा माना जाएगा।