उत्तराखंड में पिछले दिनों लगातार हो रही है बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने राज्य के जनजीवन को पटरी से उतार दिया है। अब तक इस प्राकृतिक आपदा ने 16 लोगों की जिंदगी छीन ली है। केदारनाथ धाम क्षेत्र में इस आपदा से जगह-जगह सड़क मार्ग और पैदल मार्ग को नुकसान पहुंचा है और कई मकान और दुकानें जमींदोज हो गए हैं।
केदारनाथ धाम क्षेत्र में अतिवृष्टि से भू-स्खलन होने से 29 स्थानों पर पैदल व सड़क मार्ग कटा हुआ है। इसके अतिरिक्त पेयजल व विद्युत लाइनों सहित बड़ी तादाद में सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा। कुछ स्थानों पर दूरसंचार की सेवाएं भी बाधित हुई हैं। उधर मंगलवार को रुद्रप्रयाग जिले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ आपदा की समीक्षा बैठक की। जहां उन्होंने अधिकारियों को तुरंत ही सड़क मार्ग ठीक करने के निर्देश दिए। साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस समय जो तीर्थ यात्री केदारनाथ दर्शन के लिए रुके हुए हैं, उन्हें हेलिकाप्टर सेवा में किराए में 25 फीसद की छूट दी जाएगी। जिसका वहन राज्य सरकार करेगी। बुधवार से हेलिकाप्टर सेवा केदारनाथ के लिए शुरू कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्रों में जनजीवन सामान्य बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि क्षतिग्रस्त मार्गाें, पेयजल एवं विद्युत लाइनों को यथाशीघ्र बहाल किया जाए।
सेना और राज्य सरकार की एजंसियों ने बचाव एवं राहत कार्यों में जी जान से काम किया। अतिवृष्टि की घटना के बाद से ही सेना, जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन तथा एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, एनडीआरएफ सहित अन्य संस्थाओं एवं जनप्रतिनिधियों, पंडा समाज, तीर्थ पुरोहित, धार्मिक व सामाजिक सरोकारों से जुड़े संगठनों ने मिलकर इस आपदा से निपटने में पूरा सहयोग किया और फंसे हुए श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का कार्य किया है। इन सब संगठनों ने मिलकर रेकार्ड समय में लगभग 12 हजार तीर्थ यात्रियों एवं स्थानीय लोगों को आपदा ग्रस्त क्षेत्रों से बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया। राहत एवं बचाव कार्यों में सेना भी पीछे नहीं रही और सेना के हेलिकाप्टरों एमआइ-17 और चिनूक ने लोगों को आपदा ग्रस्त क्षेत्रों से बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
इस बार केदारनाथ घाटी क्षेत्र, उत्तरकाशी, टिहरी क्षेत्रों में लगातार जबरदस्त बारिश होती रही। गंगोत्री धाम क्षेत्र में लगातार बारिश होने से भागीरथी नदी का जलस्तर एक सप्ताह के भीतर तीन बार बढ़ा। जिस वजह से इस क्षेत्र के गंगा स्रान घाट सहित आरती स्थल जलमग्न हो गए हैं। गोमुख और गंगोत्री घाटी के ऊपरी क्षेत्रों में हो रही बारिश के कारण चीड़बासा से लेकर भोजबासा तक भागीरथी नदी के सहायक नदियों को जलस्तर लगातार बढा। भागीरथी नदी में जलस्तर ने अपना रौद्र रूप दिखाया। पिछले दिनों देवगाड़ के समीप ग्लेशियर के टूटने के कारण भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ गया था। बाढ़ का पानी इतनी तेजी से बढा कि नदी किनारे बनी कुटिया को अपने साथ बहा ले गया।
केदारघाटी में एक बार फिर से जीवन जीने के लिए कसरत शुरू हो गई है। कठिन परिस्थितियों के बीच केदारनाथ पैदल मार्ग से बचाव एवं राहत अभियान मंगलवार को छठे दिन भी जारी रहा। करीब 150 स्थानीय लोगों को केदारनाथ से भीमबली के लिए एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की देखरेख में रवाना किया गया है। जंगलचट्टी से भी 161 लोगों को एनडीआरएफ चीड़वासा लेकर पहुंची।