जम्मू-कश्मीर के रामबन में बादल फटने की खबर है, मौसम की इस मार ने तीन लोगों की जान ली है। कई घरों को भी नुकसान पहुंचा है। इस समय भी जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में भारी बारिश जारी है। बताया जा रहा है कि बादल फटने की घटना रामबन के राजगढ़ इलाके में हुई है, उस वजह से वहां पर फ्लैश फ्लड की स्थिति भी बन चुकी है। चार लोग लापता भी बताए जा रहे हैं।

शुरुआती जानकारी के मुताबिक बादल फटने से कई घरों को नुकसान पहुंचा है, कुछ तो पूरी रह बह भी गए हैं। प्रशासन ने अपने स्तर पर रेसक्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है, बचाव कार्य जारी है। लापता लोगों को खोजना भी एक चुनौती बन गया है, कई सड़कों पर अवरोध है, मुख्य मार्ग से संपर्क टूट चुका है। प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी राहत केंद्र भी बना दिए गए हैं।

वैसे शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के ही चमोली में भी बादल फटा था। उस वजह से भारी नुकसान देखने को मिला, उस घटना के कई वीडियो भी सामने आए थे। अब वहां पर राहत कार्य जारी था, उस बीच रामबन में भी बादल फट गया। बात चाहे जम्मू-कश्मीर की हो या फिर उत्तराखंड की, हर जगह हालात चिंताजनक बने हुए हैं और मौसम की जबरदस्त मार देखने को मिल रही है।

क्या होता है Cloudburst?

बादल फटना भारी बारिश की गतिविधि को कहते हैं। हालांकि, बहुत भारी बारिश की सभी घटनाएं बादल फटना नहीं होतीं। बादल फटने की एक बहुत ही विशिष्ट परिभाषा है: लगभग 10 किमी x 10 किमी क्षेत्र में एक घंटे में 10 सेमी या उससे अधिक बारिश को बादल फटने की घटना के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार, उसी क्षेत्र में आधे घंटे की अवधि में 5 सेमी बारिश को भी बादल फटने की श्रेणी में रखा जाएगा।

बादल फटने की घटना के दौरान, किसी स्थान पर एक घंटे के भीतर वार्षिक वर्षा का लगभग 10% वर्षा हो जाती है। औसतन, भारत में किसी भी स्थान पर एक साल में लगभग 116 सेमी वर्षा होने की उम्मीद की जा सकती है।

बादल फटना कितना आम है?

बादल फटना कोई असामान्य घटना नहीं है, खासकर मानसून के महीनों में। ये घटनाएं ज़्यादातर हिमालयी राज्यों में होती हैं जहां स्थानीय स्थलाकृति, विंड सिस्टम और निचले व ऊपरी वायुमंडल के बीच टेम्परेचर ग्रेडिएंट ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देते हैं। हालाँकि, हर घटना जिसे बादल फटना कहा जाता है, वास्तव में परिभाषा के अनुसार बादल फटना नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये घटनाएँ काफी लोकल होती हैं। ये बहुत छोटे क्षेत्रों में होती हैं जहां अक्सर बारिश मापने वाले उपकरण नहीं होते।