इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत में मौजूद जाति व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वैसे खुद को कहते हैं शिक्षित समाज लेकिन 75 साल में जाति व्यवस्था से ऊपर नहीं उठ सके। कोर्ट ने हत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए ये बात कही। जज ने कहा कि हम इस सामाजिक खतरे से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। यह दयनीय और दुखद है।

हत्या के एक मामले में सन्नी सिंह नाम के शख्स को जमानत देते हुए जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने कहा कि संपन्न लोगों का कर्तव्य है कि वो वंचितों और दलितों की रक्षा करें। उनका कहना था कि एक तरफ हमारा समाज शिक्षित होने का दावा करता है, वहीं जाति को कायम रखते हुए दोहरा मापदंड प्रदर्शित करता है।

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने अफसोस जताते हुए कहा कि हमारे समाज में जाति व्यवस्था गहरी है। राष्ट्र हित में आत्मनिरीक्षण करने का समय आ गया है। अब हमें तय करना होगा कि जिस व्यवस्था में हम जी रहे हैं वो कब तक यूं ही चलती जानी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो नतीजे अच्छे नहीं रहने वाले।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ताकतवर लोगों का नैतिक कर्तव्य है कि वो वंचितों और दलितों की रक्षा करें। जिससे वो खुद को असुरक्षित महसूस ना करें। अदालत का कहना था कि अगर समाज के जिम्मेदार लोग अपनी ड्यूटी को सही से नहीं समझेंगे तो वंचितों के मन में असुरक्षा की भावना पनपेगी और वो राष्ट्र निर्माण में अपनी समुचित भागीदारी नहीं दे पाएंगे। राष्ट्र हर व्यक्ति से बनता है। लिहाजा इस तरह सोचना बेहद जरूरी है।

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क्या था मामला

सन्नी सिंह एक हत्या के मामले में आरोपी था। उस पर हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक धमकी, आपराधिक साजिश और एससी\एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी उसकी उस अपील पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें जमानत खारिज करने के निचली अदालत के एक आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने मामले में जमानत देते हुए अपील की अनुमति भी दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं दिखता है जो आरोपी को जमानत न दी जाए।