मुख्य न्यायाधीश ने सोशल मीडिया पर जजों की नियुक्ति और ज्यूडिशरी के कामों को लेकर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की जरूरत पर जोर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार (17 अक्टूबर, 2022) को बताया की इसे लेकर उन्हें सीजेआई की तरफ से पत्र भेजा गया है, जिसमें ऐसी चीजों पर लगाम लगाने और सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फिलहाल उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि वह सोच समझ कर जवाब देंगे क्योंकि अगर जवाब देंगे तो आगे बढ़ना पड़ेगा और आगे बढ़ेंगे तो फिर देश के लिए क्या होगा उसका चिंतन मंथन होगा। केंद्रीय मंत्री ने अहमदाबाद में आरएसएस के “साबरमती संवाद” के दौरान ये बातें कही हैं।

उन्होंने कहा, “1993 से पहले कोई उंगली नहीं उठाता थी किसी जज के ऊपर या कोर्ट के ऊपर क्योंकि उस समय जज लोग जजों की नियुक्ति में हिस्सेदार नहीं थे, उनका रोल नहीं था, वो नियुक्ति प्रक्रिया से दूर-दूर रहते थे। तभी तो उस समय जजों पर कोई आलोचनात्मक टिप्पणी ही नहीं होती थी। आजकल ज्यादा हो रही हैं, मुझे भी अच्छा नहीं लगता की न्यायपालिका के ऊपर सवाल उठे।”

गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (GNLU) के छात्रों के साथ बातचीत में रिजिजू ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम(NJAC) को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार खुश नहीं थी। उन्होंने कहा, हालांकि, संसद के पास इसे अधिनियमित करने या संशोधित करने का अधिकार है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के कई सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कई सेवारत न्यायाधीश अनौपचारिक रूप से मुझे और सरकार को बताते हैं कि एनजेएसी सबसे अच्छा विकल्प था और सरकार को इसे वापस लाने के लिए काम करना चाहिए। मैं यहां कोई निश्चित शब्द नहीं दे रहा हूं क्योंकि यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है और सरकार निश्चित रूप से समय आने पर न्यायपालिका और राष्ट्र के हित में किसी भी कदम पर विचार करेगी।”

न्यायपालिका में लंबित मामलों और रिक्तियों के मुद्दे पर, रिजिजू ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए जो नाम मेरे पास आते हैं, मैं सिर्फ उनको ही क्लीयर कर सकता हूं। वहीं, अदालतों में लंबित मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि जजों के पास सरकार की तरह खुफिया सूत्र नहीं हैं, जिनसे उन्हें इनपुट या जानकारी मिल सके, यही कारण है कि अदालतों में मामले लंबित हैं।