भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले 2023 कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सीजेआई खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने आदेश दिया कि मामले को उस पीठ के समक्ष लिस्ट किया जाए, जिसका सीजेआई हिस्सा नहीं है।
जानें क्या है पूरा मामला
मार्च 2023 में अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि सीईसी और ईसी की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई की एक समिति की सलाह पर की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां विपक्ष का कोई नेता उपलब्ध नहीं है, वहां समिति में संख्या बल के लिहाज से लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल किया जाएगा।
इसके बाद संसद ने सीजेआई को छोड़कर मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 लाया। मंगलवार को मामला सामने आते ही सीजेआई ने कहा कि उन्हें पहले यह तय करना होगा कि उन्हें इसकी सुनवाई करने वाली पीठ में होना चाहिए या नहीं।
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याचिकाकर्ता ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि सीजेआई खन्ना अतीत में जब हिस्सा थे, वह इस मामले में केवल एक अंतरिम आदेश था। इसपर सीजेआई खन्ना ने कहा, ”उस समय स्थिति थोड़ी अलग थी।”
एक अन्य वकील ने यह कहते हुए मामले पर रोक लगाने की मांग की कि इस मामले में जल्द ही एक पद रिक्त होगा। शंकरनारायणन ने यह भी बताया कि वर्तमान सीईसी की आखिरी तारीख 19 फरवरी, 2025 है। पीठ ने तब कहा कि इसकी सुनवाई 20 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में की जाएगी।
जब याचिकाकर्ताओं ने आग्रह किया कि मामले को अगले हफ्ते लिस्ट किया जाए, तो सीजेआई खन्ना ने कहा कि वह तारीखों की फिर से जांच करेंगे। लेकिन यह भी कहा कि यह अगले हफ्ते नहीं हो सकता। पढ़ें CJI जस्टिस खन्ना ने क्यों छोड़ दी मॉर्निंग वॉक